आने वाले दिनों में प्याज की किल्लत हो सकती है. यह लहसुन की तरह ही अचानक महंगा हो सकता है. व्यापारियों का कहना है मार्च से त्योहार शुरू हो जाएंगे. खास कर रमजान में प्याज की डिमांड बढ़ जाएगी. इससे इसकी कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि, ग्रीष्मकालीन प्याज के उत्पादन में भी इस बार भारी गिरावट की संभावना है. खास कर महाराष्ट्र में किसानों ने बहुत ही कम रकबे में ग्रीष्मकालीन प्याज की बुवाई की है. वहीं, रबी फसलों की भी कीमत में तेजी की उम्मीद है.
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उद्योग जगत ने रबी की फसल में 30 फीसदी की गिरावट की चेतावनी दी है. उसने कहा है कि मार्च की शुरुआत में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. उद्योग के जानकारों की माने तो अनियमित मानसून के चलते पिछले साल महाराष्ट्र, कर्नाटक और कई अन्य राज्यों में कम वर्षा हुई. इसने दाल, चीनी और प्याज जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों के उत्पादन को प्रभावित किया है. वहीं, पिछले वर्ष की तुलना में तुअर उत्पादन में लगभग 13 प्रतिशत की गिरावट की संभावना है. उद्योग के अनुमान के अनुसार, अगली फसल आने तक पूरे वर्ष उपभोक्ताओं के लिए तुअर दाल महंगी रहने का अनुमान है.
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निर्यातकों ने कहा कि हमें उम्मीद है कि मार्च की शुरुआत से प्याज की मांग बढ़ने से कीमतों में बढ़ोतरी होगी. क्योंकि एक तरफ रमजान त्योहार की वजह से प्याज मांग बढ़ेगी तो दूसरी तरफ ग्रीष्मकालीन फसल की आवक कम हो जाएगी. वहीं, इस साल महाराष्ट्र के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी किसानों ने कम रकबे में ग्रीष्मकालीन प्याज की बुवाई की है. साथ ही रबी फसल का रकबा भी काफी कम हुआ है. रबी की फसल मार्च के मध्य के बाद बाजारों में आने की उम्मीद है.
प्याज निर्यातकों के मुताबिक, वैश्विक बाजार में प्याज की जबरदस्त कमी है और ताजा प्याज का एकमात्र स्रोत भारत ही है. अंतरराष्ट्रीय कीमतें 1000-1400 डॉलर प्रति टन के बीच हैं, जबकि भारतीय प्याज 350 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध है. इससे घरेलू मार्केट में प्याज की सप्लाई पर भी असर पड़ेगा.
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वहीं, बीते दिनों खबर सामने आई है कि सरकार ने कहा है कि प्याज के निर्यात पर से पाबंदी नहीं हटी है और यह 31 मार्च तक जारी रहेगी. ऐसी खबर थी कि सरकार ने प्याज निर्यात पर से प्रतिबंध हटा लिया है. इसे देखते हुए सरकार की तरफ से यह नई जानकारी दी गई है. एक आला अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध 31 मार्च की पूर्व घोषित समय सीमा तक जारी रहेगा, क्योंकि सरकार कीमतों को नियंत्रण में रखने और घरेलू सप्लाई बनाए रखने की इच्छुक है.
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