निर्यात बंदी के बीच प्याज की आवक मंडियों में बढ़ने लगी है. किसानों की जरूरतें अब उनको मजबूर करने लगी हैं कि वह मंडी में लाकर प्याज बेचें. क्योंकि पैसा नहीं होगा तो वो अगले सीजन की खेती कैसे करेंगे. अब किसान रबी सीजन के प्याज की भी मंडियों में आवक बहुत तेजी से बढ़ने लगी है. जबकि रबी सीजन का प्याज स्टोर किया जा सकता है. जिन किसानों के पास प्याज के स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है और उन्हें अगले सीजन की खेती करने के लिए पैसे की सख्त जरूरत है, वह इस टाइम मजबूरी में मंडियों में बेचने के लिए प्याज लेकर आ रहे हैं. महाराष्ट्र की कई मंडियों में एक ही दिन में प्याज की 10-10 हजार क्विंटल प्याज की आवक होने लगी है, जिसकी वजह से दाम और गिर गए हैं.
महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि 19 अप्रैल को अहमदनगर मंडी में सबसे ज्यादा 34979 क्विंटल प्याज की आवत हुई है. इस मामले में दूसरे नंबर पर सोलापुर है जहां पर 19767 क्विंटल की आवक हुई. लासलगांव विन्चुर में 17300 और कम से कम बाकी पांच मंडियों में 10 हजार क्विंटल से ज्यादा की आवक हुई है. आवक की वजह से दाम काफी गिर गए हैं.
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महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है. यहां देश के कुल उत्पादन का करीब 43 परसेंट प्याज पैदा होता है. इसकी वजह से यहां लाखों किसानों की आजीविका इसकी खेती पर निर्भर है. लगातार 2 साल से किसी न किसी वजह से उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहा है. इसलिए किसान अब इसकी एमएसपी तय करने की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि प्याज की जो उत्पादन लागत आती है सरकार खुद जनता को बताए और उस पर 50% मुनाफा तय करके इसका न्यूनतम दाम तय कर दे और यह नियम बना दे कि उससे कम दाम पर खरीद नहीं होगी. दूसरी और व्यापारियों के लिए अधिकतम बिक्री मूल्य कर दे. अगर यह व्यवस्था हो जाएगी तो न किसानों को नुकसान होगा और न महंगाई बढ़ेगी.
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