रेपसीड और सरसों के उत्पादन में बंपर बढ़ोत्तरी की उम्मीद जताई जा रही है. उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि बुवाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी और प्रमुख उत्पादक राज्यों में मौसम अनुकूल रहने के चलते देश का रेपसीड और सरसों का उत्पादन 2024 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने की संभावना है. रेपसीड और सरसों के अधिक उत्पादन से पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल के आयात में कटौती करने में मदद मिलेगी. वहीं, देश खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEAI) ने रॉयटर्स को बताया कि किसानों ने रेपसीड के तहत बुवाई क्षेत्र का विस्तार किया है. हमारा हालिया सर्वेक्षण दिखा रहा है कि लगभग सभी राज्यों में फसल अच्छी स्थिति में है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार रबी सीजन में रेपसीड और सरसों का क्षेत्रफल एक साल पहले की तुलना में लगभग 5% बढ़कर 10 मिलियन हेक्टेयर हो गया है. वहीं, भारत ने 2022-23 में 115 लाख टन रेपसीड का उत्पादन किया और चालू वर्ष में उत्पादन 300,000 से 500,000 टन तक बढ़ सकता है.
सरसों के सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में फसल बेहतर स्थिति में है. अगर अगले कुछ हफ्तों में चीजें सुचारू रूप से चलती रहीं, तो राज्य में 120 लाख टन का उत्पादन संभव है. पिछले सप्ताह तक मौसम अनुकूल था, लेकिन तापमान बढ़ना शुरू हो गया है. ऐसे में यदि गर्म हवाएं चलती हैं तो फसल जल्दी पक सकती हैं और बीजों का आकार कम हो सकता है. हालांकि, ऐसा होने की संभावना बेहद कम है. हालांकि, बीते वर्षों में फरवरी और मार्च में अधिक तापमान ने अधिक पैदावार की संभावनाओं को कमजोर कर दिया है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में सरसों की सरकारी खरीद कीमत पिछली बार की तुलना में 200 रुपये बढ़ाई गई है, जिसके बाद एमएसपी दर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. 2022-23 सीजन में सरसों का एमएसपी रेट 5,450 रुपये प्रति क्विंटल थी. जबकि, उससे पहले 2021-22 रबी मार्केटिंग सीजन में सरसों का एमएसपी रेट 5,050 रुपये प्रति क्विंटल था.
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