देश के लगभग हर हिस्से में मॉनसून पहुंच गया है. 30 मई को केरल में मॉनसून ने एंट्री की थी. पहले फेज में मॉनसूनी बारिश कम दर्ज की गई, लेकिन दूसरे फेज में मॉनसूनी बारिश खूब होने की संभावना जताई गई है. मौसम विभाग ने कहा है कि मॉनसून के दूसरे हिस्से में अत्यधिक बारिश का अनुमान है. कृषि विशेषज्ञों ने अत्यधिक बारिश को दाल, सोयाबीन समेत कई फसलों के लिए नुकसानदायक बताया है. चिंता जताई गई है कि ज्यादा बारिश फसल उत्पादन को प्रभावित कर सकती है.
30 मई को मॉनसून केरल पहुंचा था और अब 1-2 जुलाई तक देश के लगभग हर हिस्से में मॉनसून पहुंच रहा है. ऐसे में जोरदार बारिश की भविष्यवाणी की गई है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार मानसून के दूसरे हिस्से में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि मूंग, उड़द, सोयाबीन और कपास की फसलों पर अत्यधिक नमी का असर पौधे के विकास और उपज को प्रभावित कर सकता है.
जिन किसानों ने बुआई कम बारिश के कारण देरी से शुरू हुई है उनपर अधिक प्रभाव दिखने की आशंका है. बुआई में देरी के बाद कटाई के समय या फूल आने और फल लगने के समय अत्यधिक बारिश के कारण अक्सर मूंग, उड़द, सोयाबीन और कपास की फसलें खराब हो जाती हैं, जिससे उनका उत्पादन काफी कम हो जाता है. इस साल दाल उद्योग को आकर्षक कीमतों के कारण उड़द और तूर की बुआई के रकबे में उछाल की उम्मीद है.
भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) के सेक्रेटरी सतीश उपाध्याय ने 'किसान तक' को बताया कि जुलाई-अगस्त में अधिक बारिश की संभावना फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है. उन्होंने कहा कि जुलाई में भारी बारिश की आशंका है जो तकलीफदायक हो सकता है. अगस्त में ज्यादा बारिश का पूर्वानुमान है. उन्होंने कहा कि मूंग और उड़द दाल कम समय में होने वाली फसलें हैं, जो 90 दिनों में हो जाती हैं.
सतीश उपाध्याय ने बताया कि परंपरागत रूप से हमेशा देखा गया है कि दाल की बुवाई पूरी होती है और रकबा पूरा होता है. लेकिन अच्छी बारिश नहीं होती है. लेकिन, जब फली सूखने का समय होता है और 6-7 दिन बारिश ज्यादा होती है, जिससे फली टूटकर गिर जाती है और उठाया नहीं जा सकता है. इससे फसल उत्पादन पर गहरा असर पड़ता है. यह नुकसान पूर्व वर्षों से भी होता आ रहा है. उन्होंने कहा कि यह समस्या खेती के समय तेज बारिश और कम बारिश के चलते होती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today