पंजाब में इस साल सरकार ने मूंग दाल की खरीद नहीं की है. इससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है, जबकि निजी कारोबारियों ने इसे जमकर भुनाया है और कम दाम पर किसानों से उनकी उपज खरीद की है. रिपोर्ट के अनुसार अब तक की गई कुल खरीद में से 99 फीसदी मूंग दाल को निजी कारोबारियों ने एमएसपी रेट से 500-700 रुपये कम दाम पर खरीदी है. जबकि, सरकार ने दालों के उत्पादन को लेकर किसानों को खूब प्रोत्साहित किया और एमएसपी पर खरीद करने को खूब प्रचारित किया.
मई के अंत से मूंग दाल की खरीद शुरू की गई थी और अब सीजन खत्म होने के करीब है. लेकिन, राज्य की मंडियों में फसल की सरकारी खरीद शून्य बनी हुई है. राज्य की फसल विविधीकरण योजना के तहत सरकार की ओर से खूब प्रचारित किए जाने के बावजूद इस साल अब तक मूंग की कोई सरकारी खरीद नहीं हुई है. नतीजतन मूंग दाल की करीब 99 फीसदी खरीद निजी खरीदारों की ओर से एमएसपी रेट से भी कम दाम की गई है.
केंद्र सरकार मूंग दाल का एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य 8555 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. लेकिन, सरकारी खरीद नहीं होने से निजी खरीदारों ने मौके का फायदा उठाते हुए किसानों से 7800-8000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मूंग की खरीदारी की जा रही है.
मई से अब तक पंजाब की मंडियों में 26,966 मीट्रिक टन मूंग दाल की उपज आ चुकी है, जिसे निजी कारोबारियों ने खरीदा है. इसमें से 26,865 मीट्रिक टन मूंग करीब 99 फीसदी को उन्होंने एमएसपी से कम कीमतों पर खरीदा है. पिछले दो वर्षों के दौरान जब से राज्य सरकार ने ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई को बढ़ावा दिया है तब से खरीद एजेंसी मार्कफेड (markfed) ने केंद्र सरकार की ओर मूंग दाल की कुछ मात्रा खरीदी है.
सरकारी खरीद एजेंसी मार्कफेड (markfed) ने 2022 में उपज की एवजरेज क्वालिटी के संबंध में मानकों में ढील मिलने के बाद 5,500 मीट्रिक टन से अधिक मूंग की खरीद की थी. हालांकि, नेफेड ने पूरा स्टॉक लेने से इनकार कर दिया और केवल 2,500 मीट्रिक टन ही लिया. इसके चलते मार्कफेड और पंजाब मंडी बोर्ड को उस खरीद पर लगभग 40 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ था.
इसके बाद पिछले साल 2023 में मार्कफेड ने केंद्रीय पूल के लिए केवल 2,500 मीट्रिक टन मूंग की खरीद की थी. हालांकि, इस साल मार्कफेड के अधिकारियों का दावा है कि केंद्रीय पूल के लिए मूंग की खरीद करने को कृषि विभाग की ओर से कोई नोटिफिकेशन नहीं मिला. इसके चलते एजेंसी ने मूंग दाल की खरीद नहीं की.
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी खरीद नहीं होने पर 100 एकड़ में मूंग की खेती करने वाले बरनाला के खरकसिंहवाला गांव के किसान बलराज सिंह ने अपनी उपज एक निजी फर्म को एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच दी. जगरांव में कमीशन एजेंट नवीन गर्ग ने कहा कि इस साल अब तक मूंग की कोई सरकारी खरीद नहीं हुई है, हालांकि कुल उपज का 75 फीसदी पहले ही मंडियों में पहुंच चुका है जो निजी कारोबारियों ने खरीदा है.
मूंग दाल एमएसपी से लगभग 500-700 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम कीमत पर बिक रही है. मोगा में 55 एकड़ में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करने वाले राजबीर सिंह ने कहा कि इस साल फसल की पैदावार 8-9 क्विंटल प्रति एकड़ अधिक हुई है. उन्होंने कहा कि खरीदारों ने केवल 8,000 रुपये प्रति क्विंटल में खरीद की है, जो एमएसपी रेट से कम है. उन्होंने कहा कि हालांकि अधिक उत्पादन होने से उन्हें मुनाफा मिला है.
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