Monsoon 2023: बार‍िश से खेतों में डूबी धान की फसल, जानें क‍ितना पानी है जरूरी

Monsoon 2023: बार‍िश से खेतों में डूबी धान की फसल, जानें क‍ितना पानी है जरूरी

बार‍िश की वजह से इन द‍िनों उत्तर भारत के कई राज्यों में जलजमाव की स्थ‍िति बनी हुई है. मसलन, धान के खेतों में पानी भराव हुआ है. धान के खेतों में क‍ितना पानी होना चाह‍िए, इसकी जानकारी कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने दी है.

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Monsoon 2023: बार‍िश से खेतों में डूबी धान की फसल, जानें क‍ितना पानी है जरूरी धान के खेतों में क‍ितना होना चाह‍िए, पानी यहां जानें पूरी जानकारी - फोटो फ्रीप‍िक

मॉनसून ने देशभर में दस्तक दे दी है. इस वजह से देश के कई राज्यों में बार‍िश हो रही है तो वहीं कई राज्यों में मूसलाधार बार‍िश हो रही है. मॉनसून में हो रही इस बार‍िश का आलम ये है क‍ि इस वजह से तबाही सा माहौल है. बीते दो से तीन द‍िनों में हुई बार‍िश से खेतों में पानी जमा हो गया है. खेतों में जमा ये पानी खरीफ सीजन की फसलों को फायदा पहुंचाएगा या नुकसान, इसकी पड़ताल क‍िसान तक ने की है. क‍िसान तक से हुई बातचीत में कृष‍ि व‍िज्ञान केंद्र बहराइच के प्रमुख वर‍िष्ठ कृष‍ि वैज्ञान‍िक डाॅ केएम स‍िंह ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है. उन्होंने क‍िसान तक संग हुई बातचीत में बताया क‍ि मूसलाधार बार‍िश की वजह से अगर धान के खेत जलमग्न हैं तो ऐसे खेतों में क‍ितना पानी होना चाह‍िए. 

डूबे धान के खेतों में क‍ितना होना चाह‍िए पानी           

बार‍िश की वजह से इन द‍िनों उत्तर भारत के कई राज्यों में जलजमाव की स्थ‍िति बनी हुई है. मसलन, धान के खेतों में पानी भराव हुआ है. धान के खेतों में क‍ितना पानी होना चाह‍िए, इस सवाल का जवाब देते हुए कृष‍ि व‍िज्ञान केंद्र बहराइच के प्रमुख वर‍िष्ठ कृष‍ि वैज्ञान‍िक डाॅ केएम स‍िंह ने बताया क‍ि धान की रोपाई वाले खेत में 2 इंच तक पानी होना चाह‍िए. अगर पौधे डूब रहे हैं तो जल न‍िकासी की आवश्यकता होती है. उन्होंने बताया क‍ि धान का पौधा जीवन चलाने के ल‍िए आक्सीजन जड़ की बजाय पत्ते से लेता है.

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डॉ केएम स‍िंह ने बताया क‍ि पौधे की बढ़वार वाली स्थ‍ित‍ि में देखें तो जहां पर पौधे की न‍िचली दो पत्त‍ियां हैं, वहां तक जल का स्तर बेहतर है. उससे अध‍िक पानी होने पर ये पानी पौधों की कोश‍िकाओं तक पहुंच जाता है, जो पत्त‍ियों को हवा में रहनी चाह‍िए. वह अगर पानी में डूबी रहती है तो फसलों को नुकसान होगा. अगर आपके खेत में धान के पौधे छोटे हैं तो दो इंच तक पानी रखा जा सकता है. अगर पौधे 7 से 8 इंच तक हैं तो खेत में 4 इंच तक पानी बना कर रखें. 

48 घंटे तक पानी की करें न‍िकासी  

कृष‍ि व‍िज्ञान केंद्र बहराइच के प्रमुख वर‍िष्ठ कृष‍ि वैज्ञान‍िक डाॅ केएम स‍िंह ने बताया की धान की कई क‍िस्में 8 से 15 द‍िन तक भी पानी में डूबी रह सकती हैं. ऐसी क‍िस्में क‍िसान डूब वाले क्षेत्र में लगाते हैं, लेक‍िन देश के अन्य क्षेत्रों में क‍िसान धान की सामान्य क‍िस्में लगाते हैं, जो 24 से 48 घंटे तक पानी में रह सकती हैं. ऐसी क‍िस्में अगर अध‍िक समय तक पानी में रहती हैं तो उनकी कोश‍िकाओं में पानी चला जाता है. इससे फसलों को नुकसान हो सकता है. अगर धान डूब गया है तो 24 से 48 घंटे में पानी न‍िकाल लेना चाह‍िए.

मेड़ पक्की करें क‍िसान 

कृष‍ि व‍िज्ञान केंद्र बहराइच के प्रमुख वर‍िष्ठ कृष‍ि वैज्ञान‍िक डाॅ केएम स‍िंह ने बताया क‍ि अध‍िक बार‍िश को अत‍ि‍वृष्ट‍ि कहा जाता है. अत‍िव‍ृष्ट‍ि में क‍िसान अपनी तैयारि‍यां ठीक से करें. इसके ल‍िए खेत में मेड होना जरूरी है. खेत में कम से कम दो फ‍िट मेड होनी चाह‍िए, ज‍िससे खेत का पानी खेत में और घर का पानी खेत तक पहुंचाया जा सके. ऐसा नहीं करने अगर भू कटाव होता है तो म‍िट्टी की उर्वरा क्षमता का नुकसान होता है. ये आवश्यकता है मेड मजबूत कर लें. 

दलहनी-त‍िलहनी फसलों की अभी ना करें बुवाई 

कृष‍ि व‍िज्ञान केंद्र बहराइच के प्रमुख वर‍िष्ठ कृष‍ि वैज्ञान‍िक डाॅ केएम स‍िंह ने बताया क‍ि अध‍िक बारि‍श वाले समय में दलहनी-त‍िलहनी फसलों की बुवाई से बचना चाह‍िए. क‍िसान दलहन और त‍िलहनी फसलों को बोने का समय लेट करें. इसके ल‍िए अभी एक सप्ताह इंतजार करें. भारी बार‍िश से होने से दलहन और त‍िलहन की फसलें खराब हो सकती हैं. जलभराव में अच्छा उत्पादन नहीं हो सकता है. 

नाइट्रोजन का ना करें छ‍िड़काव 

कृष‍ि व‍िज्ञान केंद्र बहराइच के प्रमुख वर‍िष्ठ कृष‍ि वैज्ञान‍िक डाॅ केएम स‍िंह ने बताया क‍ि क‍िसान, ज‍िन भी खेतों से पानी की न‍िकासी कर रहे हैं, वहां पर कुछ व‍िशेष सावधानी बरतें. ज‍िसके तहत पानी न‍िकासी वाले खेतों में नाइट्रोजन का छ‍िड़काव नहीं करें, इससे पत्त‍ियां सड़ सकती हैं और उत्पादन शून्य हो सकता है. खेत से जैसे ही पानी कम होता है. अगर कोई फंफूद नाशक का छ‍िड़काव करें. 

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