सरसों बीज के फुटाव में देरी, बीमारियों का अटैक भी बढ़ा, भारी टेंशन में कई राज्यों के किसान

सरसों बीज के फुटाव में देरी, बीमारियों का अटैक भी बढ़ा, भारी टेंशन में कई राज्यों के किसान

अगर भारत में रबी सीजन बोई जाने वाली सरसों का उत्पादन कम होता है, तो खाद्य तेलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता और अधिक बढ़ जाएगी. खाद्य तेलों के आयात में भारत का स्थान दुनिया में नंबर वन है. ऐसे में अगर सरसों की पैदावार घटती है तो तेलों की मांग को पूरा करने के लिए पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल जैसे खाद्य तेलों की महंगी विदेशी खरीद बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ सकता है.

Advertisement
सरसों बीज के फुटाव में देरी, बीमारियों का अटैक भी बढ़ा, भारी टेंशन में कई राज्यों के किसानअधिक तापमान से सरसों की बुवाई में कमी

सर्दी के दिनों में अधिक तापमान रबी फसलों को प्रभावित कर रहा है. खासकर सरसों की फसल को. राजस्थान सरसों की खेती का अव्वल प्रदेश है, लेकिन अधिक तापमान की वजह से यहां सरसों की खेती कम हुई है. दो हफ्ते पहले की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में पिछले साल की तुलना में समान अवधि में 7.2 प्रतिशत कम सरसों की बुवाई हुई है. अगर बुवाई हुई भी है तो अधिक तापमान का असर सरसों के अंकुरण पर देखा जा रहा है. अधिक तापमान से पौधों पर बीमारियां भी बढ़ी हैं.

उद्योग से जुड़े अधिकारियों ने 'रॉयटर्स' को बताया कि भारत में रेपसीड और सरसों की बुआई में उच्च कीमतों के बावजूद गिरावट आने की संभावना है, क्योंकि बुवाई के मौसम में औसत से अधिक तापमान के कारण किसान उन फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जो गर्मी से कम प्रभावित होती हैं और जो अच्छा लाभ देती हैं.

कैसे पूरी होगी तेल की जरूरत

अगर भारत में रबी सीजन बोई जाने वाली सरसों का उत्पादन कम होता है, तो खाद्य तेलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता और अधिक बढ़ जाएगी. खाद्य तेलों के आयात में भारत का स्थान दुनिया में नंबर वन है.

ये भी पढ़ें: गेहूं की बुवाई के लिए पूसा ने जारी की एडवाइजरी, पछेती किस्मों की ये है लिस्ट

ऐसे में अगर सरसों की पैदावार घटती है तो तेलों की मांग को पूरा करने के लिए पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल जैसे खाद्य तेलों की महंगी विदेशी खरीद बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ सकता है.

उत्तर-पश्चिमी राज्य राजस्थान के जयपुर स्थित प्रमुख व्यापारी अनिल चतर ने कहा कि अक्टूबर और नवंबर के पहले तीन सप्ताह में तापमान सामान्य से अधिक रहा, जो फसल के लिए अच्छा नहीं था. राजस्थान देश का सबसे बड़ा रेपसीड उत्पादक राज्य है.

उन्होंने कहा, "कई जगहों पर, जल्दी बोई गई फसलें अंकुरित नहीं हुईं, इसलिए किसानों को दूसरी फसलें उगानी पड़ीं." मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में पिछले कुछ हफ्तों में प्रमुख उत्पादक जिलों में अधिकतम तापमान सामान्य से 2 से 7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा.

राजस्थान के किसान टेंशन में

राजस्थान के धौलपुर के किसान वेदपाल त्यागी ने बताया कि उन्होंने अक्टूबर में अपनी 15 एकड़ (6.07 हेक्टेयर) जमीन पर रेपसीड लगाया था, लेकिन उनमें से पांच एकड़ पर फसल या तो ठीक से अंकुरित नहीं हुई या अंकुरित होने के तुरंत बाद मुरझा गई. 

त्यागी ने कहा, "फिर से रेपसीड लगाने के बजाय मैंने गेहूं और आलू बोए." "इस साल, मैंने रेपसीड का रकबा सामान्य 20 एकड़ के बजाय 10 एकड़ तक घटा दिया." सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में 21 नवंबर तक 30 लाख हेक्टेयर जमीन पर रेपसीड लगाया गया था, जो एक साल पहले की तुलना में 7.2% कम है.

ये भी पढ़ें: सरसों से भी ज्यादा तेल देता है तारामीरा, बंजर जमीन में भी कर सकते हैं खेती

चतर ने कहा कि उच्च तापमान ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में भी बुवाई को प्रभावित किया है, जिससे पिछले साल की तुलना में रेपसीड के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल में 10 परसेंट की कमी आ सकती है.

 

POST A COMMENT