नई तकनीक, से पुराने पेड़ से मिलेगी भरपूर की आम की उपज ,Orchard Technology: आम के पेड़ जब पुराने हो जाते हैं, तो ज्यादातर लोग उन पेड़ों को काट देते हैं और वहां नया पौधा लगा देते हैं. अक्सर देखा जाता है कि 40 से 50 साल के बाद वे पेड़ बहुत घने हो जाते हैं और टहनियां एक पेड़ से दूसरे पेड़ से मिलने लगती हैं. आम के बाग घने जंगल की तरह दिखने लगते हैं. पुराने आम के बागों में फल की पैदावार बहुत कम होती है, जो एक समस्या है. इसके लिए किसान अक्सर पुराने पेड़ों को काटकर नए पेड़ लगा देते हैं, जो एक महंगा विकल्प हो सकता है. हालांकि, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी अनुसंधान संस्थान (CISH) लखनऊ ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए एक अनोखी तकनीक का उपयोग किया है, जिससे वे पुराने पेड़ों को फिर से जवान बना सकते हैं और इन पुराने बागों से दोबारा आम की भरपूर उपज ले सकते हैं.
CISH के अनुसार, मध्यम आयु वर्ग के आम के बगीचे, अर्थात 15-30 वर्ष के पेड़ की शाखाएं पड़ोसी पेड़ों की शाखाओं से मिल जाती हैं और इन आम के पेड़ों से कम उपज मिलती है. इस तरह के आम के बाग से अधिक फल लेने के लिए आम के पेड़ की सेंटर में ओपनिंग की जाती है. इस तकनीक में एक पेड़ के एक या दो सेंटर में स्थित शाखाओं को कम करने और काटने को कहा जाता है, ताकि प्रकाश के प्रवेश में सुधार हो सके. इससे एक पेड़ की एक या दो शाखाएं कम की जाती हैं, ताकि प्रकाश के प्रवेश में सुधार हो सके और इस तकनीक से आम के पेड़ में अधिक उपज, बड़े फलों का आकार और फलों की गुणवत्ता में सुधार होता है.
ये भी पढ़ें: Mango Orchard: आम के बाग में इन कीटों और डाइबैक रोग से रहें सतर्क, नुकसान से बचाने के ये हैं उपाय
इस काम के लिए, आम के बाग के पेड़ों का निरीक्षण करें और प्रत्येक पेड़ में एक या दो शाखाओं या उनके कुछ हिस्सों को चिह्नित करें, क्योंकि चिन्हित शाखाओं को मूल स्थान से काटकर हटा देना चाहिए. इस काम को बिजली या पेट्रोल से चलने वाली आरी से किया जाए तो काम आसान हो जाता है और कटे हुए स्थान पर छाल नहीं फटनी चाहिए. इस प्रकार के प्रबंधन से बागवान को पहले ही साल से ही इसका लाभ मिलना शुरू हो जाता है.
इस प्रकार के काम से कई फायदे होते हैं. पेड़ की ऊचाई कम हो जाती है, वृक्ष की छाया के मध्य भाग में सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता बढ़ जाती है, जिससे फलों की गुणवत्ता में सुधार होता है. वायु की गति बढ़ जाती है और नए कल्ले आते हैं जिन्हें समुचित रोशनी प्राप्त होती है क्योंकि कल्लों में परिपक्वता आती है. इस प्रकार के पेड़ों में कीटों और बीमारियों का प्रकोप भी कम होता है और रसायनों का छिड़काव भी कम होता है.
आम के पेड़ आमतौर पर 40-50 वर्षों तक फल देते हैं. लेकिन जैसे-जैसे वे पुराने होते जाते हैं, उनका उत्पादन कम होता जाता है. इसलिए किसान पुराने पेड़ों को काटकर नए पेड़ लगा देते हैं जो एक महंगा विकल्प है. आम में जीर्णोद्धार की नई तकनीक के अनुसार, पुराने पेड़ों से ही अगले 25-30 साल तक आम के फलों की गुणवत्ता के साथ अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. इस तकनीक में जो मुख्य शाखा सीधी उपर जा रही है, अगर रोशनी आने में बाधा पहुंचा रही है तो उसको पहले उसके मूल स्थान से दिसंबर-जनवरी माह में काट देना चाहिए. इसके बाद 4 से 6 शाखाओं को चयनित कर लेना चाहिए. इसमें दो जो विपरीत शाखाएं हों, इसके एक वर्ष बाद फिर दूसरे साल दो शाखाएं जो एक दूसरे के विपरीत स्थित होती हैं, फिर तीसरे साल, अगर सबसे बाहर की शाखा है, तो मूल जगह ठूंठ छोड़कर काट कर हटा देना चाहिए.
ये भी पढ़ें: Success Story: 10 एकड़ बंजर जमीन पर कर रहे कई फसलों की खेती, 20 लाख रुपये से ज्यादा कमाई!
अगर सबसे नीची शाखा कीट बीमारी से ग्रसित हो, तो उसे भी काटकर हटा देना चाहिए. शाखाओं को तेज़ आरी या पावर आरी से काटा जाता है. ऐसा करते समय ध्यान रखें कि शाखाओं के आसपास की छाल नहीं फटनी चाहिए. कटाई के तुरंत बाद कटे हुए भाग पर बोर्डो पेस्ट (कॉपर सल्फेट, चूना, और पानी का अनुपात 1:1:10) में 250 मिली अलसी या नीम के तेल को मिलाकर लगाएं. बोर्डो पेस्ट की जगह, ताजा गाय का गोबर लगा सकते हैं. यह तरीका अपनाने से कटाई के पहले साल और दूसरे साल पुरानी शाखाओं से 50 से 150 किलो ग्राम प्रति शाखा फल मिलते हैं. इसके बाद लगभग तीन साल में आम का पुराना पेड़ छोटा आकार लेकर फिर से अधिक फल देने लगता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today