scorecardresearch
अब आम पर बारिश और ओलावृष्टि की मार.... इस बार उत्पादन घटने के आसार

अब आम पर बारिश और ओलावृष्टि की मार.... इस बार उत्पादन घटने के आसार

मौसम की मार केवल बारिश तक ही सीमित नहीं है बल्कि बर्फबारी ने भी उतना ही नुकसान पहुंचाया है. गुजरात के जितने भी आम के क्षेत्र हैं, उन सभी जगहों पर बारिश और ओले का भारी असर देखा जा रहा है. गुजरात सरकार ने कहा है कि बारिश और ओलावृष्टि से आम के उत्पादन पर भारी असर देखे जा सकते हैं.

advertisement
गुजरात में बारिश और ओलावृष्टि से आम को भारी नुकसान हुआ है गुजरात में बारिश और ओलावृष्टि से आम को भारी नुकसान हुआ है

जिस बात की आशंका थी, आखिर वही हुआ. देश के अधिकांश इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. खासकर, उत्तर भारत के सभी इलाके कुदरती मार की चपेट में हैं. गेहूं, सरसों और चने के अलावा सब्जियों की फसलें बर्बाद हुई हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा था कि आम और अमिया का क्या होगा जो अभी शुरुआती स्टेज में है. सबसे बुरी खबर गुजरात से आई है जहां आम का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. गुजरात में बहुतायत में किसान आम से सालभर की कमाई निकालते हैं. मगर हालिया बारिश ने इन किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है.

मौसम की मार केवल बारिश तक ही सीमित नहीं है बल्कि बर्फबारी ने भी उतना ही नुकसान पहुंचाया है. गुजरात के जितने भी आम के क्षेत्र हैं, उन सभी जगहों पर बारिश और ओले का भारी असर देखा जा रहा है. गुजरात सरकार ने कहा है कि बारिश और ओलावृष्टि से आम के उत्पादन पर भारी असर देखे जा सकते हैं.

‘बिजनेसलाइन’ में छपी एक रिपोर्ट बताती है, गुजरात के 33 जिलों में से 24 ऐसे हैं जहां अच्छी बारिश दर्ज की गई है. इन 24 जिलों में केवल मार्च महीने में ही कम से कम 10 मिमी बारिश हुई है. बारिश के साथ ओले भी बहुत गिरे हैं. इन ओलों की वजह से बड़े पैमाने पर आम का नुकसान हुआ है. 

ये भी पढ़ें: दिल्ली-पश्चिमी यूपी के कई हिस्सों में तेज हवा के साथ बारिश, रबी फसलों का हुआ नुकसान

विधानसभा में बुधवार को दिए एक बयान में गुजरात सरकार ने कहा, जितनी भी बागवानी फसलें हैं, उनमें आम ऐसा है जो अभी फ्लावरिंग स्टेज में है या छोटी-छोटी अमिया आ गई हैं. इन पेड़ों पर या तो बौर आ गई है या बौर अमिया में तब्दील हो गई है. ऐसे में बारिश और ओलावृष्टि से आम को बड़ा नुकसान हुआ है. बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओँ ने पेड़ों को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया जिससे फलों का भारी नुकसान हुआ है.

इस नुकसान को देखते हुए गुजरात सरकार आम के किसानों को रिलीफ देने का ऐलान कर रही है. गुजरात में आपदा रिलीफ फंड का प्रावधान है जिसके अंतर्गत आम के किसानों को फसली मुआवजा दिया जाएगा.
गुजरात देश-दुनिया में अपने केसर आम के लिए मशहूर है. यहां के कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्र में केसर आम का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. इन क्षेत्रों में जूनागढ़, गिर सोमनाथ, भावनगर, राजकोट, पोरबंदर और अमरेली जिले आते हैं. इन सभी जिलों को केसर आम का गढ़ कहा जाता है. 

गुजरात में तलाला एपीएमसी मंडी को केसर का सबसे बड़ा बाजार कहा जाता है. यहां से देश-दुनिया के कई हिस्सों में केसर आम की सप्लाई की जाती है. तलाला एपीएमसी के सेक्रेटरी रमेशचंद्र दांड के मुताबिक इस बार मौसमी मार का भारी असर आम के उत्पादन और उसके बिजनेस पर देखा जाएगा.

रमेशचंद्र दांड कहते हैं, इस साल सीजन अच्छा चल रहा था. लेकिन सौराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से आम का भारी नुकसान हुआ है. आम अभी शुरुआती स्टेज में थे और दाने उसके छोटे थे. लेकिन ओलावृष्टि ने इन छोटे दानों को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया है.

ये भी पढ़ें: Wheat Procurement: क्या एफसीआई ने अब तक इसल‍िए जारी नहीं क‍िया गेहूं खरीद का एक्शन प्लान?

सौराष्ट्र क्षेत्र में अप्रैल अंत से आम की आवक शुरू हो जाती है. इस बार भी 25 अप्रैल से केसर की पैदावार निकलने लगेगी. इस साल जनवरी-फरवरी में अच्छा मौसम रहा जिसे देखते हुए बंपर पैदावार की उम्मीद जताई जा रही थी. मगर मार्च में अचानक हुई बारिश ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया है. इस बारिश से किसानों का पूरा गणित गड़बड़ हो गया है. बाजार के एक्सपर्ट मानते हैं कि फसली नुकसान होने से इस बार आम के दाम अधिक रहेंगे. अभी से ही खाड़ी और यूरोपीय देशों से निर्यात के रेट मांगे जाने लगे हैं. इस बार देश के बाजारों में भी आम के दाम अधिक रहने के अनुमान हैं.