शुक्रवार को हल्दी के भाव में मंदी दिखी जबकि उड़द के दाम में मिला-जुला रुख देखा गया. देश भर में हल्दी के सौदे में मंदी देखी गई और पेरूंदरई मंडी में हल्दी में 605 रुपये की मंदी देखी गई. कृषि उपज मंडियों में हल्दी की आवक सीमित बनी हुई है. इसका हाजिर भाव देखें तो शुक्रवार को देश की मंडियों में हल्दी में नरमी के साथ कारोबार हुआ. दूसरी ओर मंडियों में उड़द के कारोबार में मिला-जुला रुख देखा गया.
बात सबसे पहले हल्दी के कारोबार की. कृषि उपज मंडियों में आजकल हल्दी की आवक सामान्य बनी हुई है. शुक्रवार को तमिलनाडु की इरोड और पेरूंदरई मंडी में हल्दी के सौदों में कमजोरी के साथ कारोबार हुआ. हाजिर भाव की बात करें तो तमिलनाडु की इरोड मंडी में 29 दिसंबर को बल्ब हल्दी का भाव 5979 रुपये जबकि 30 दिसंबर को 5814 रुपये दर्ज किया गया. इसी मंडी में फिंगल हल्दी का भाव गुरुवार को 7004 रुपये जबकि शुक्रवार को 6804 रुपये दर्ज किया गया. इस तरह हल्दी में प्रति कुंटल 200 रुपये की गिरावट देखी गई. यह आंकड़ा एगमार्कनेट का है.
तमिलनाडु की पेरूंदरई मंडी में भी नरमी के साथ हल्दी का कारोबार हुआ. यहां गुरुवार को बल्ब हल्दी का भाव रहा 6299 रुपये जिसमें 30 दिसंबर को लगभग 400 रुपये की गिरावट के साथ दाम 5880 रुपये पर पहुंच गया. इसी तरह फिंगर हल्दी में 605 रुपये की गिरावट देखी गई. गुरुवार को इसके भाव 7019 रुपये थे जो शुक्रवार को गिरावट के साथ 6414 रुपये पर पहुंच गए.
भारत दुनिया में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. अपनी उपज का 60 परसेंट निर्यात भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करता है. हालांकि इस साल निर्यात में कमी देखने को मिली है. भारतीय मसाला बोर्ड के मुताबिक साल 2020-21 के दौरान हल्दी का निर्यात 1,83,868 टन किया गया जबकि 21-22 में हल्दी के निर्यात में 30 लाख टन से अधिक की कमी आई और यह 1,53,154 टन में पहुंच गया. भारत हल्दी का निर्यात फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया और नेदरलैंड्स जैसे देशों को करता है.
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भारत में सबसे ज्यादा हल्दी की खेती आंध्र प्रदेश में होती है. उसके बाद ओडिशा और तमिलनाडु में इसकी खेती होती है. महाराष्ट्र में भी हल्दी उगाई जाती है. पूरे देश की 40 परसेंट हल्दी केवल आंध्र प्रदेश में उगाई जाती है. इसके अलावा केरल, कर्नाटक, पंजाब, बंगाल, राजस्थान और असम में भी इसकी खेती प्रमुखता से होती है. इस साल हल्दी की पैदावार बंपर होने की संभावना जताई जा रही है.
कमोडिटी विशेषज्ञ साहिल गोयल ने 'डीडी किसान' से कहा कि इस साल हल्दी के फंडामेंटल मजबूत बने हुए हैं. इसके उत्पादन में इस साल बढ़त दिख रही है, लेकिन निर्यात में थोड़ी गिरावट नजर आती है. हालांकि जनवरी-फरवरी में हल्दी के निर्यात में एक बढ़त दिखाई दे सकती है. घरेलू स्तर पर इसकी मांग में बढ़ोतरी देखी जा सकती है. साहिल बताते हैं कि आने वाले दिनों में हल्दी में तेजी का रुख दिखने की संभावना है.
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जो किसान हल्दी को भंडारण करते हैं और सुरक्षित तरीके से अपनी उपज को रख सकते हैं, वे जनवरी-फरवरी तक मंडियों में बिक्री का इंतजार कर सकते हैं. जनवरी-फरवरी में जब दाम में तेजी आए तो किसानों को हल्दी बेचने पर अधिक फायदा मिल सकता है. आने वाले समय में हल्दी के भाव में 3-5 परसेंट तक की तेजी देखने को मिल सकती है.
शुक्रवार को उड़द में मिला-जुला रुख देखा गया. कहीं इसके दाम चढ़े तो कहीं दाम में गिरावट देखी गई. कृषि उपज मंडियों में उड़द की आवक सामान्य दर्ज की गई. गुजरात की ध्रोल मंडी में गुरुवार को उड़द के दाम 6450 रुपये देखे गए जबकि 30 दिसंबर को इसकी दरें 6225 रुपये रहे. राजकोट मंडी में उड़द का भाव गुरुवार को 6505 रुपये तो शुक्रवार को 7185 रुपये रहा. उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद मंडी में गुरुवार को उड़द का भाव 8000 रुपये प्रति कुंटल तो शुक्रवार को भी यही कीमत दर्ज की गई. यानी यहां भाव स्थिर रहे. कोटा मंडी में भी गुरुवार और शुक्रवार को भाव स्थिर रहे और 6000 रुपये कुंटल दर्ज किए गए.
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