कृषि क्षेत्र में देश में वैज्ञानिकों के द्वारा रबी, खरीफ और जायद में अधिक उपज के साथ-साथ पोषक तत्व से भरपूर किस्मों को विकसित किया जा रहा है. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय कि कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक ने मूंग की एक नई किस्म को विकसित किया है. मालवीय जनक्रांति मूंग के नाम से यह किस्म दूसरी प्रजातियों के मुकाबले 15 फ़ीसदी अधिक पैदावार देने वाली किस्म है. मूंग की इस प्रजाति में दूसरी किस्मों के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन है. इसके अलावा यह 62 से 70 दिन के भीतर तैयार होने वाली मूंग की किस्म हैं. उत्तर प्रदेश को ध्यान में रखकर तैयार की गई मूंग की इस किस्म की बुवाई किसान जायद के अंतर्गत 5 से 30 मार्च तक कर सकता है.
जायद और खरीफ सीजन के अंतर्गत बोई जाने वाली मूंग की सैकड़ों किस में मौजूद हैं. वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ महेंद्र नारायण सिंह ने मूंग की एक नई किस्म को विकसित किया है जो बड़े दाने की है. उन्होंने बताया कि मूंग की मालवीय जनक्रांति किस्म का दाना 5 ग्राम तक होता है. उनकी इस किस्म में दूसरी मूंग की किस्म के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है जो देश में कुपोषण की समस्या को दूर करने में काफी ज्यादा मददगार साबित होगा.
बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान के द्वारा विकसित मूंग की नई किस्म मालवीय जनक्रांति से किसानों को काफी फायदा होने वाला है. यह किस्म कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की केंद्रीय प्रजाति अधिसूचना एवं विमोचन उप समिति की 90 वी बैठक में इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है. मूंग की इस किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ महेंद्र नारायण सिंह ने बताया मूंग की यह प्रजाति 62 से 70 दिन के भीतर तैयार हो जाती है. वहीं इसके पौधों की ऊंचाई 44 सेंटीमीटर है. मूंग की इस किस्म का औसत उपज 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि अधिकतम उत्पादन क्षमता 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. दूसरी किस्मों के मुकाबले इसका उत्पादन भी 15 फ़ीसदी ज्यादा है. मूंग की इस किस्म को विकसित करने में संस्थान के डॉ.रमेश चंद , डॉ.प्रेम शंकर सिंह, दिनेश कुमार का विशेष योगदान है. इससे पहले डॉ.महेंद्र नारायण 6 और किस्म को विकसित कर चुके हैं.
मालवी जन क्रांति मूंग की किस्में रोग प्रतिरोधी है. पीला चित्त वर्ण रोग, पत्र दाग , चूना रोग, पत्र किंक्ल विषाणु के लिए यह पूरी तरह से अवरोधी है. 45 डिग्री के उच्च तापक्रम में भी इस की फली लगती है. उच्च तापक्रम की प्रति यह प्रजाति असंवेदनशील है. किसानो को इस किस्म के मूंग का बीज 2024 में उपलब्ध हो सकेंगा।
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