कम चीनी र‍िकवरी ने क्यों बढ़ा दी हर‍ियाणा सरकार की टेंशन, आख‍िर क्या है गन्ने का गण‍ित?

कम चीनी र‍िकवरी ने क्यों बढ़ा दी हर‍ियाणा सरकार की टेंशन, आख‍िर क्या है गन्ने का गण‍ित?

हर‍ियाणा में अब तक हुई गन्ने की पेराई में चीनी की रिकवरी 9.37 प्रतिशत रही है. हालांक‍ि, सामान्य तौर पर 10 फीसदी या उससे अध‍िक चीनी र‍िकवरी हो तब ठीक माना जाता है. राज्य सरकार ने 10 प्रतिशत चीनी रिकवरी का ही टारगेट रखा हुआ था. जान‍िए क्यों बढ़ रहा है चीनी र‍िकवरी बढ़ाने का दबाव. 

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कम चीनी र‍िकवरी ने क्यों बढ़ा दी हर‍ियाणा सरकार की टेंशन, आख‍िर क्या है गन्ने का गण‍ित? क्या होती है चीनी र‍िकवरी?

हर‍ियाणा सरकार ने गन्ना सीजन 2023-2024 में 416 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा है. हालांक‍ि, चीनी र‍िकवरी रेट 10 फीसदी से कम रहने की वजह से सरकार की च‍िंता बढ़ी हुई है. इसल‍िए वो अध‍िकार‍ियों पर इसे बढ़ाने का दबाव बना रही है, ताक‍ि म‍िलों पर आर्थ‍िक बोझ न पड़े. चीनी रिकवरी का मतलब प्रत्येक क्विंटल गन्ने की पेराई से उत्पादित चीनी की मात्रा है. यह मात्रा ज‍ितनी कम रहेगी म‍िलों पर आर्थ‍िक संकट बढ़ेगा और ज्यादा होगी तो घटेगा. राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने सोमवार को चंडीगढ़ में चीनी मिलों की कार्य दक्षता की समीक्षा के ल‍िए एक बैठक बुलाई. इसमें उन्होंने अधिकारियों को सहकारी चीनी मिलों में गन्ने की पिराई क्षमता और चीनी की रिकवरी बढ़ाने के न‍िर्देश द‍िए. साथ ही गोदामों में रखी चीनी में नमी न आए, इसका ध्यान रखने को भी कहा. 

अध‍िकार‍ियों ने सहकारिता मंत्री को बताया क‍ि 23 जनवरी 2024 तक चीनी मिलों में 167.43 लाख क्विटंल गन्ने की पिराई हो चुकी है. जबक‍ि 14.78 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हो चुका है. चीनी की रिकवरी 9.37 प्रतिशत रही है. जबकि गत वर्ष चीनी की रिकवरी 9.12 रही थी. हालांक‍ि, सामान्य तौर पर 10 फीसदी या उससे अध‍िक चीनी र‍िकवरी हो तब ठीक माना जाता है. राज्य सरकार ने 10 प्रतिशत चीनी रिकवरी का ही टारगेट रखा हुआ था. 

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दाम की वजह से र‍िकवरी बढ़ाने का दबाव 

सूबे में चीनी मिलों की क्षमता का 86.71 प्रतिशत का उपयोग किया गया है. जींद सहकारी म‍िल में चीनी की रिकवरी सबसे अच्छी 9.94 फीसदी रही. जबक‍ि शाहाबाद की 9.85 और सोनीपत की 9.76 प्रतिशत रही है. हैफेड शुगर मिल फफड़ाना, असंध में चीनी रिकवरी 8.73 प्रतिशत दर्ज की गई. नारायणगढ़ शुगर मिल में रिकवरी 10.43 प्रतिशत रही. मंत्री ने कहा कि जिन चीनी मिलों की जैसे रोहतक, कैथल और पानीपत की चीनी रिकवरी कम रही है उनकी रिकवरी बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएं.

राज्य में गन्ने का रेट 386 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल हो चुका है, जो पंजाब के बाद सबसे ज्यादा है. इसल‍िए म‍िलों पर र‍िकवरी बढ़ाने का दबाव है. सीएम एक बार खुद कह चुके हैं क‍ि 9.75 फीसदी चीनी र‍िकवरी पर गन्ने का दाम स‍िर्फ 297 रुपये क्व‍िंटल ही बनता है. हर‍ियाणा में सहकारी म‍िलों का घाटा 5300 करोड़ रुपये के आसपास है. 

क‍ितनी है पेराई क्षमता? 

  • सहकारी शुगर मिल जींद में प्रतिदिन पिराई क्षमता 1750 टन, शाहबाद में 5000, सोनीपत में 2200, करनाल में 3500, पलवल में 1900, गोहाना में 2500 टन, पानीपत में 5000, कैथल में 2500 और रोहतक में 3500 टन है.   
  • राज्य में कुल 16 चीनी म‍िलें हैं, ज‍िनमें से 11 सहकारी क्षेत्र की हैं, बाकी न‍िजी हैं. हर‍ियाणा की देश के कुल गन्ना उत्पादन में ह‍िस्सेदारी महज 2 फीसदी है.

क‍िसानों को क‍ितना पैसा म‍िला

शुगरफैड ने इस सीजन में अभी तक 167.56 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद है, ज‍िसका दाम 646.46 करोड़ रुपये बनता है. ज‍िसमें से अपने संसाधनों से उसने किसानों को 444.94 करोड़ रुपये की अदायगी कर दी है. अप्रैल 2023 से दिसंबर 2023 तक चीनी का बिक्री मूल्य औसतन 3704.40 रुपये प्रति क्विंटल रहा है. ऐसे में 10 फीसदी से अध‍िक चीनी र‍िकवरी पर ही म‍िलों को अच्छा फायदा म‍िलेगा.  

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