मसूर दाल के दाम में तेजी देखी जा रही है. लोगों की मांग को पूरा करने के लिए सरकार मसूर दाल का आयात कर रही है. कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह आयात और बढ़ेगा क्योंकि मसूर की मांग भी बढ़ेगी. देश में मसूर की खपत तेजी से बढ़ रही है क्योंकि बाकी दालों के दाम अधिक हो गए हैं. प्रमुख दालें जैसे तुर और मूंग की पैदावार गिरने की आशंका है जिसका असर अभी से दिखने लगा है. पैदावार गिरने और सप्लाई घटने की आशंका के बीच दालों के दाम में वृद्धि देखी जा रही है. तुर दाल के दाम में सबसे अधिक तेजी है और यही हाल मूंग का भी है. लेकिन अब मसूर दाल भी इस कड़ी में शामिल हो गई है.
दालों की कम पैदावार को देखते हुए इस साल देश में इसके आयात में बड़ी वृद्धि दर्ज की जा सकती है. मसूर के बारे में कहा जा रहा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल 10 लाख टन अधिक आयात की संभावना है. पिछले वित्त वर्ष में देश में 8.58 लाख टन मसूर का आयात किया गया था, इस बार इसमें 10 लाख टन और जुड़ सकता है.
अप्रैल से लेकर अभी तक मसूर दाल का निर्यात पांच लाख टन को पार कर गया है. अभी रास्ते में 1.5-02 लाख टन मसूर दाल की खेप है. दूसरी ओर सरकार ने दालों की पैदावार का अनुमान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि मसूर की पैदावार भले बढे़गी लेकिन बाकी दालों का उत्पादन गिर सकता है. इस वजह से मसूर की खपत बढ़ेगी. खपत बढ़ने की सूरत में मसूर का आयात तेजी से बढ़ रहा है और आगे भी इसमें इजाफा रहेगा.
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2020-21 में देश में 11.16 लाख टन मसूर का आयात किया गया जबकि 2021-22 में यह घटकर 6.67 लाख टन पर आ गया. हालांकि इस साल मसूर के आयात में बड़ी तेजी देखी जा रही है. दाम की जहां तक बात है तो मंडियों में मसूर का भाव 61-62 रुपये किलो चल रहा है जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास है. लेकिन खुदरा में इसके दाम में कुछ तेजी देखी जा रही है.
भारत जिन देशों से मसूर मंगाता है उनमें कनाडा और ऑस्ट्रेलिया प्रमुख हैं. अभी हाल में भारत ने अमेरिका के खिलाफ रिटैलिएटरी कस्टम ड्यूटी को खत्म किया है. इस नियम के खत्म होने से मसूर जैसी दालों के आयात में सुविधा बढ़ेगी. एक्सपर्ट के मुताबिक, अमेरिका में हरे मसूर का उत्पादन अधिक होता है जबकि भारत में लाल मसूर की खपत अधिक रहती है. ऐसे में अमेरिका अगर विदेशों से लाल मसूर अधिक नहीं खरीदता है तो विश्व बाजार में इसके दाम में बहुत अधिक तेजी नहीं दिखेगी.
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दाम में बढ़ोतरी की थोड़ी आशंका इसलिए है क्योंकि कनाडा जहां इसकी पैदावार बड़े स्तर पर होती है, वहां इस बार पैदावार कम हुई है. दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया भी लाल मसूर पैदा करता है जहां नवंबर में उपज निकलेगी. उसके बाद वहां से निर्यात शुरू होगा और भारत में सप्लाई सुचारू बनेगी.
देसी बाजारों में मसूर के दाम देखें तो यूपी की मंडियों में इसका भाव 5900 रुपये से 7050 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है. मध्य प्रदेश में इसकी कीमत 5100 रुपये से 6200 रुपये प्रति क्विंटल है. लेकिन खुदरा में इसके दाम अधिक हैं. यूपी में मसूर जहां 92 रुपये तो मध्य प्रदेश में 91 रुपये के आसपास चल रहा है.
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