विदेशी सुपारी पर सरकार की बड़ी सख्ती! किसानों की कमाई बचाने के लिए कड़ा नियम लागू 

विदेशी सुपारी पर सरकार की बड़ी सख्ती! किसानों की कमाई बचाने के लिए कड़ा नियम लागू 

सरकार ने विदेशी सुपारी के गैर-कानूनी इंपोर्ट को रोकने के लिए, किसानों को नुकसान से बचाने के लिए, ओरिजिन के नियमों की सख्त जांच शुरू की है. टी बोर्ड ने क्लाइमेट चेंज से प्रभावित चाय किसानों की मदद के लिए खेती की नई तकनीकों, पानी बचाने और सस्टेनेबल खेती को भी बढ़ावा दिया है. जानें कि सुपारी के इंपोर्ट में कमी और चाय के प्रोडक्शन में बढ़ोतरी से किसानों को कैसे फायदा हो रहा है.

Advertisement
विदेशी सुपारी पर सरकार की बड़ी सख्ती! किसानों की कमाई बचाने के लिए कड़ा नियम लागू सस्ती विदेशी सुपारी की एंट्री बंद!

केंद्र सरकार ने बताया है कि भारत में सुपारी गलत तरीके से न आए, इसके लिए कस्टम विभाग लगातार जांच कर रहा है. कुछ देश ऐसे हैं जिन्हें भारत की DFTP स्कीम का फायदा मिलता है, लेकिन कई बार दूसरे देश अपनी सुपारी उन्हीं देशों के नाम पर भेज देते हैं ताकि उन्हें टैक्स न देना पड़े. ऐसे मामलों को रोकने के लिए ‘रूल्स ऑफ़ ओरिजिन’ की जांच बहुत ध्यान से की जा रही है.

कस्टम और DRI टीम लगातार कार्रवाई में लगी

मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि कस्टम और DRI की टीमें हर समय सतर्क रहती हैं. वे एयरपोर्ट, सीपोर्ट और बॉर्डर पर आने वाले माल को अच्छी तरह चेक करती हैं. अगर कोई भी व्यक्ति या व्यापारी सुपारी को छिपाकर या गलत तरीके से भारत लाने की कोशिश करता है, तो टीम तुरंत कार्रवाई करती है. यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि भारत में अवैध सुपारी की एंट्री न हो सके.

विदेश से आने वाली सुपारी में आई कमी

सरकार ने बताया कि विदेशों से भारत आने वाली सुपारी की मात्रा कम हुई है. 2024-25 में केवल 21,160 टन सुपारी आयात हुई, जो भारत की कुल सुपारी उत्पादन का सिर्फ 1.5 प्रतिशत है. 2022-23 में यह मात्रा 32,238 टन थी. इस कमी का बड़ा कारण यह है कि सरकार ने 2023 में सुपारी की न्यूनतम आयात कीमत को 251 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 351 रुपये प्रति किलो कर दिया था. इससे सस्ती और खराब क्वालिटी की विदेशी सुपारी भारत में आना कम हो गई.

किसानों के हित में बढ़ाया गया आयात मूल्य

सरकार ने सुपारी की न्यूनतम आयात कीमत इसलिए बढ़ाई ताकि भारतीय किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिल सके. अगर विदेश से बहुत ज्यादा और सस्ती सुपारी भारत आएगी तो इससे भारतीय किसान नुकसान में चले जाएंगे. सरकार के इस फैसले के बाद पिछले चार साल में सुपारी का दाम 40,000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर ही रहा है और इसमें कोई बड़ी गिरावट नहीं आई.

मौसम बदलने से चाय बागानों पर असर

क्लाइमेट चेंज यानी मौसम में लगातार हो रहे बदलाव की वजह से चाय की खेती को कई तरह की दिक्कतें होती हैं. कई जगह पानी की कमी हो जाती है, कहीं ज्यादा गर्मी पड़ती है, और कुछ जगहों पर बहुत बारिश हो जाती है. इससे चाय की पत्तियों की बढ़त पर असर पड़ता है और उत्पादन कम हो सकता है.

Tea Board की तरफ से किए जा रहे उपाय

इन समस्याओं से निपटने के लिए Tea Board ने कई कदम उठाए हैं. बोर्ड किसानों को सूखे को सहने वाली चाय की नई किस्में लगाने की सलाह दे रहा है. खेत की देखभाल, खाद और पानी के सही उपयोग पर जोर दिया जा रहा है. पत्तों और पेड़ों के सूखे हिस्सों को जमीन पर डालकर मिट्टी की नमी बचाई जा रही है. कई जगह बारिश का पानी जमा करने की व्यवस्था की जा रही है ताकि खेती में पानी की कमी न हो. इसके अलावा, छोटे किसानों को अच्छी खेती और टिकाऊ तरीकों की ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे मौसम की मुश्किलों से बच सकें.

चाय उत्पादन और उपज में सुधार

क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों के बावजूद उत्तर-पूर्वी भारत में चाय का उत्पादन बढ़ा है. 2020-21 में यहां 647.20 मिलियन किलो चाय बनी थी, जबकि 2024-25 में यह बढ़कर 692.91 मिलियन किलो हो गई. इसका मतलब है कि हर साल लगभग 1.72 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इसी तरह चाय की उत्पादकता भी बढ़ी है. पहले एक हेक्टेयर में 1736 किलो चाय मिलती थी, अब यह बढ़कर 1795 किलो हो गई है, जो बेहतर खेती और प्रबंधन का नतीजा है.

ये भी पढ़ें: 

Wheat Crop: गेहूं उपज को 10% तक बढ़ा सकती है यह छोटी सी तकनीक, लागत भी होगी कम
Fake Fertiliser: सरकार ने 5 हजार से ज्‍यादा खाद कंपनियों के लाइसेंस किए कैंसिल, 2 वजहों से हुआ एक्‍शन 

POST A COMMENT