Rabi Maize: बिहार में रबी मक्का बना किसानों की आय का बड़ा जरिया, खरीफ से तीन गुना अधिक पैदावार

Rabi Maize: बिहार में रबी मक्का बना किसानों की आय का बड़ा जरिया, खरीफ से तीन गुना अधिक पैदावार

रबी सीजन में अनुकूल मौसम, कम रोग-कीट प्रकोप और उन्नत बीजों के उपयोग से बिहार की मक्का पैदावार राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है, लेकिन किसानों को वास्तविक लाभ उचित बाजार मूल्य और खरीद व्यवस्था मिलने पर ही मिलेगा.

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Rabi Maize: बिहार में रबी मक्का बना किसानों की आय का बड़ा जरिया, खरीफ से तीन गुना अधिक पैदावारबिहार में रबी मक्के की बंपर खेती होती है

बिहार में मक्का केवल एक फसल नहीं, बल्कि किसानों के लिए जीवन का आधार है. वैसे तो मक्का साल भर उगाया जा सकता है, लेकिन रबी का मौसम बिहार के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. बिहार में मक्का की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत (2500 किग्रा/हेक्टेयर) से काफी अधिक (3975 किग्रा/हेक्टेयर) है. विशेष रूप से जोन-1 और जोन-2 के क्षेत्रों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है, जो राज्य के कुल मक्का उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं. यह मौसम किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर अधिक लाभ कमाने का मौका देता है.

खरीफ के मुकाबले तीन गुना अधिक पैदावार 

रबी सीजन की सबसे बड़ी खासियत इसकी बंपर पैदावार है, जहां खरीफ (बरसात) के मौसम में मक्का की पैदावार प्रति हेक्टेयर केवल 2 से 2.25 टन होती है. वहीं रबी सीजन में यह बढ़कर 6 टन या उससे भी ज्यादा हो जाती है. सर्दियों में मौसम साफ रहता है, धूप अच्छी मिलती है और फसल को पकने के लिए लंबा समय मिलता है. इस दौरान प्रकाश संश्लेषण बेहतर होता है, जिससे पौधे मजबूत होते हैं और दाने मोटे और वजनदार बनते हैं.

बाढ़, कीड़े और बीमारियों से सुरक्षा 

खरीफ के मौसम में बिहार के किसानों को अक्सर बाढ़, जल-जमाव और तेज बारिश का सामना करना पड़ता है, जिससे फसल खराब हो जाती है. इसके अलावा, बरसात में कीड़े और बीमारियों का हमला भी ज्यादा होता है. इसके विपरीत, रबी के मौसम में बाढ़ का खतरा नहीं होता और खेत से पानी की निकासी आसान होती है. ठंडे मौसम के कारण कीड़ों और रोगों का प्रकोप बहुत कम हो जाता है, जिससे किसानों की लागत घटती है और फसल सुरक्षित रहती है.

उन्नत बीज के उपयोग से बढ़ेगी कमाई 

रबी सीजन में किसान जोखिम कम होने के कारण संकर (Hybrid) और उन्नत किस्मों के बीजों का उपयोग करते हैं. इस मौसम में सिंचाई का पानी, खाद और उर्वरक पौधों को सही मात्रा में मिल पाते हैं क्योंकि बारिश से इनके बहने का डर नहीं होता. खेत में खरपतवार का प्रबंधन करना भी आसान होता है. वैज्ञानिक तरीके से की गई बुआई और सही देखरेख के कारण रबी मक्का की फसल किसानों को उम्मीद से बेहतर परिणाम देती है.

किसानों को चाहिए सही बाजार और दाम 

रबी मक्का निश्चित रूप से अन्य फसलों की तुलना में कमाई का एक बेहतरीन जरिया है, लेकिन किसानों को इसका असली लाभ तभी मिलेगा जब उनकी उपज को सही दाम मिले. अक्सर बंपर पैदावार होने पर बाजार में भाव गिर जाते हैं. इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि सरकार और प्रशासन किसानों के लिए 'सही दाम' की एक ठोस व्यवस्था बनाए. यदि मंडियों में उचित मूल्य और खरीद की गारंटी मिल जाए, तो बिहार का रबी मक्का किसानों की तकदीर बदल सकता है.

एक नजर में रबी मक्के की खेती

  • बुवाई का समय: अक्टूबर–नवंबर
  • कटाई का समय: फरवरी–मार्च
  • मुख्य क्षेत्र: उत्तर बिहार—समस्तीपुर, बेतिया, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, पूर्णिया, अररिया आदि
  • उपज: रबी सीजन में बिहार की मक्का उपज देश में सबसे ज्यादा मानी जाती है (अनुकूल जलवायु + सिंचाई उपलब्धता की स्थिति में)
  • आवश्यक तापमान: 20–25°C बुवाई के समय, पकते समय 25–30°C
  • सिंचाई: रबी मक्का सिंचाई-आधारित फसल है—लगभग 4–5 सिंचाइयां जरूरी
  • बीज दर: 16–20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (हाइब्रिड किस्मों के लिए)
  • प्रमुख किस्में: HQPM-1, HQPM-5, DMRH-1300, RCRMH-2, Pioneer/DMH varieties आदि
  • उपयोग: पशु चारा, स्टार्च उद्योग, बायोफ्यूल, फूड प्रोसेसिंग और निर्यात
  • चुनौतियां: समय पर खाद/बुआई, फॉल आर्मी वॉर्म (FAW) का प्रकोप, बाजार मूल्य की अनिश्चितता
  • सहायता: बिहार में मक्का को MSP के साथ-साथ विभिन्न सब्सिडी योजनाओं (बीज, ड्रिप, मशीनरी) का लाभ मिलता है
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