Agri Quiz: किस फूल की वैरायटी है पूसा नारंगी? इसकी 5 उन्नत किस्में कौन सी हैं?

Agri Quiz: किस फूल की वैरायटी है पूसा नारंगी? इसकी 5 उन्नत किस्में कौन सी हैं?

भारत में अलग-अलग चीजें अपनी खास पहचान के लिए जानी जाती हैं. ऐसी ही एक चीज है जिसकी वैरायटी का नाम पूसा नारंगी है. इस वैरायटी की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इस वैरायटी की खासियत.

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Agri Quiz: किस फूल की वैरायटी है पूसा नारंगी? इसकी 5 उन्नत किस्में कौन सी हैं?पूसा नारंगी

भारत विविधताओं से भरा देश है. भारत में अलग-अलग चीजें अपनी खास पहचान के लिए जानी जाती हैं. कई चीजें अपने अनोखे नाम के लिए तो कई अपनी पहचान के तौर पर जानी जाती हैं. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे एक ऐसे फूल की वैरायटी की जिसका नाम पूसा नारंगी है. दरअसल, ये वैरायटी गेंदे के फूल की है, जिसकी खेती पूरे साल की जाती है. वहीं, बात करें गेंदे की तो फूलों में इसकी मांग सबसे अधिक होती है. इसे लोग सजावट के साथ-साथ पूजा पाठ में भी इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अब ये जान लेते हैं कि बंपर पैदावार के लिए इसकी उन्नत किस्में कौन सी हैं? और किस विधि से करनी चाहिए खेती.

गेंदे की 5 उन्नत किस्में

पूसा नारंगी: इस किस्म की खेती करने पर 123-136 दिन बाद इसमें फूल आने लगता है. इस किस्म के फूल का रंग सुर्ख नारंगी होता है और पौधों की लंबाई 7 से 8 सेमी के बीच होती है. उपज औसतन प्रति हेक्टेयर 35 टन होती है. वहीं, इस किस्म की खासियत ये है कि ये सजावट के लिए बेस्ट वैरायटी है. साथ ही मच्छरों को दूर भगाने के भी काम आता है.

पूसा अर्पिता: यह फ्रेंच गेंदा की एक किस्म है और इसे भी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2009 में जारी किया गया था. यह उत्तरी मैदानी इलाकों में उगाने के लिए एक अच्छी किस्म है. भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों में मध्य दिसंबर से मध्य फरवरी तक मध्यम आकार के हल्के नारंगी फूल पैदा होते हैं. इसके ताजे फूलों की उपज 18 से 20 टन प्रति हेक्टेयर आंकी गई है.

पूसा दीप: यह फ्रेंच गेंदा की शुरुआती किस्म है, जिसमें रोपाई के 85-95 दिन बाद फूल आना शुरू हो जाता है. पौधे मध्यम आकार के और फैले हुए होते हैं, जिनकी ऊंचाई 55-65 सेमी होती है. इसमें ठोस और गहरे भूरे रंग के मध्यम आकार के फूल लगते हैं. इस किस्म की उपज 18-20 टन प्रति हेक्टेयर है.

मेरीगोल्ड ऑरेंज: ये गेंदे की एक बेहतरीन किस्म है. इसकी खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है. इसके फूलों का आकार बड़ा होने के कारण दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में यह अधिक लोकप्रिय है. इसके फूल गहरे नारंगी रंग के होते हैं. बीज की बुवाई के करीब 125 से 135 दिनों बाद पौधों में फूल निकलना शुरू हो जाता है. वहीं, इसकी प्रति एकड़ खेती करने पर 100 से 120 क्विंटल ताजे फूलों की पैदावार होती है.

मेरीगोल्ड येलो: गेंदे के फूल के इस किस्म की बहुत सारी खासियतें हैं. मेरीगोल्ड येलो एक जंगली किस्म है. वहीं, इसके पौधे की ऊंचाई 50 से 55 सेमी होती है. इस किस्म से उगाए गए फूल का रंग पीला होता है. इसकी पहली फसल मात्र 40 दिनों में आने लगती है. इसके अलावा इस फूल का वजन 15 से 16 ग्राम का होता है. इसकी गुणवत्ता काफी अच्छी होती है.

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