Soybean Variety: ये हैं सोयाबीन की टॉप 4 किस्में, जानें 1 हेक्टेयर जमीन से किसानों को कितना मिलेगा उत्पादन

Soybean Variety: ये हैं सोयाबीन की टॉप 4 किस्में, जानें 1 हेक्टेयर जमीन से किसानों को कितना मिलेगा उत्पादन

भारत में सोयाबीन खरीफ की फसल के अंतर्गत आता है. भारत में सोयाबीन की सबसे ज्यादा खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में की जाती है। सोयाबीन उत्पादन में 45 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश का है. जबकि सोयाबीन उत्पादन में 40 फीसदी हिस्सेदारी महाराष्ट्र की है. बता दें कि भारत में 12 मिलियन टन सोयाबीन का उत्पादन होता है.

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Soybean Variety: ये हैं सोयाबीन की टॉप 4 किस्में, जानें 1 हेक्टेयर जमीन से किसानों को कितना मिलेगा उत्पादनये है सोयाबीन की टॉप 4 उन्नत किस्में

रबी फसलों की खेती के बाद अधिकतर किसान खरीफ फसलों की खेती करना पसंद करते हैं. जायद की खेती के समय में किसान खरीफ फसलों की खेती के लिए जमीन की तैयारी करते हैं ताकि फसलों से अच्छी उपज ले सकें. ऐसे में आज हम बात करेंगे खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली फसल सोयाबीन और सोयाबीन की उन्नत किस्मों के बारे में जिसकी खेती कर किसानों एक साल में कितना उत्पादन ले सकते हैं. तो आइये जानते हैं सोयाबीन की उन्नत किस्म और खेती के बारे में.

सोयाबीन की बुआई खरीफ सीजन में की जाती है. इसकी बुआई जून के पहले सप्ताह से शुरू हो जाती है. लेकिन सोयाबीन की बुआई का सर्वोत्तम समय जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के मध्य तक है. सोयाबीन में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. जिसके कारण इसकी मांग बाजारों में हमेशा बनी रहती है.

सोयाबीन में पाए जाने वाले पोषक तत्व

सोयाबीन में मुख्य रूप से प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन ई, बी कॉम्प्लेक्स, थायमिन, राइबोफ्लेविन अमीनो एसिड, सैपोनिन, सिटोस्टेरॉल, फेनोलिक एसिड और कई अन्य पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं. इसमें आयरन होता है जो खून की कमी को दूर करता है. ऐसे में लोग अपने भोजन में सोयाबीन को जरूर शामिल करते हैं. सोयाबीन की बढ़ती मांग को देखते हुए अब किसान इसकी अधिक से अधिक खेती कर रहे हैं ताकि उन्हें अधिक मुनाफा मिल सके. ऐसे में जरूरी है कि किसान फसलों से अच्छी पैदावार लेने के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करें. आइए जानते हैं सोयाबीन की उन्नत किस्में:

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जेएस 2034 सोयाबीन की किस्म

फसल से अच्छी उपज पाने के लिए जेएस 2034 की बुवाई कर सकते हैं. इस किस्म के दाने का रंग पीला, फूल का रंग सफेद और फली चपटी आकार की होती है. इस किस्म की बुवाई कम वर्षा होने पर भी की जा सकती है. कम वर्षा वाले जगहों में किसान इस किस्म की बुवाई कर उच्च उत्पादन ले सकते हैं. सोयाबीन जेएस 2034 किस्म का उत्पादन करीब एक हेक्टेयर में 24-25 क्विंटल तक होता है. यह फसल 80-85 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म की बुवाई के लिए 30-35 किग्रा बीज प्रति एकड़ की जरूरत होती है.

सोयाबीन की बीएस 6124 किस्म

इस किस्म को बोने के लिए बीज की मात्रा 35-40 किलो बीज प्रति एकड़ की होती है. उत्पादन की बात करें तो इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 20-25 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म को तैयार होने में 90-95 दिनों का समय लगता है. वहीं इस किस्म के फूल बैंगनी रंग के तथा पत्ते लम्बे होते हैं.

जेएस 2069 सोयाबीन की किस्म

इस किस्म की बुवाई के लिए प्रति एकड़ 40 किलो बीज की आवश्यकता होती है. इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 22-26 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म को तैयार होने में 85-86 दिनों का समय लगता है.  

एमएसीएस 1407 की किस्म

एमएसीएस 1407 नाम की सोयाबीन की यह नव विकसित किस्म असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्वी राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है. यह किस्म 39 क्विंटल उपज देती है. हेक्टेयर उपज और गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, एफिड्स, व्हाइट फ्लाई और डिफोलिएटर जैसे प्रमुख कीटों के लिए प्रतिरोधी है. इसका मोटा तना, जमीन के ऊपर (7 सेमी) फली का प्रवेशन और फली टूटने का प्रतिरोध इसे यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त बनाता है. यह किस्म उत्तर पूर्व भारत की वर्षा आधारित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है. यह इसे अन्य किस्मों की तुलना में मॉनसून की अनियमितताओं के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाता है. इस किस्म की परिपक्वता बुआई की तारीख से 104 दिन है. इसमें सफेद रंग के फूल, पीले रंग के बीज और काले हिलम होते हैं. इसके बीजों में तेल की मात्रा 19.81 प्रतिशत, प्रोटीन की मात्रा 41 प्रतिशत होती है.

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