अंडे प्रोटीन के अलावा कई और पोषक तत्वों का खास स्त्रोत होते हैं मगर शाकाहारी लोग इनसे दूर ही रहते हैं. लेकिन अगर हम आपको यह बताएं कि गोवा में इस तरह के वीगन अंडों की खेती होती है जिन्हें आप भी खा सकते हैं, तो शायद आप भी सुनकर चौंक जाएंगे. गोवा में इन दिनों ये वीगन अंडे पर्यटकों का दिल जीत रहे हैं. अब आप कुछ और सोचें उससे पहले हम आपको बता देते हैं कि यहां पर बात हो रही है एक खास तरह के मशरूम की जिसे वोल्वेरीला वोल्वेसिया या पैडी स्ट्रॉ मशरूम के तौर पर भी जाना जाता है. जानें इस खास मशरूम के बारे में सबकुछ.
वोल्वेरीला वोल्वेसिया मशरूम की खेती धान के भूसे पर भी की जा सकती है और इसलिए ही इसे पैडी स्ट्रॉ मशरूम भी कहते हैं. ये मशरूम विटामिन बी12 का खास स्त्रोत होते हैं और यह वह पोषक तत्व है जो किसी भी सब्जी में नहीं पाया जाता है. साथ ही वीगन डाइट्स जिसमें दूध और दूसरे एनिमल प्रॉडक्ट्स नहीं होते हैं, उनमें भी मौजूद नहीं होता है. वोल्वेरीला वोल्वेसिया मशरूम की खेती गोवा में अक्टूबर से नवंबर के बीच और मार्च से जून के बीच होती है जब चावल की भूसी मौजूद होती है. साथ ही तापमान भी 35 डिग्री के करीब रहता है.
दुनिया भर में मशरूम की यह तीसरी किस्म है जिसका सेवन सबसे ज्यादा किया जाता है. जिस क्षेत्र में इसे उगाया जाता है, वहां पर अक्सर इसे फ्रेश ही खाया जाता है. लेकिन अब यह कैन में सा फिर बटन और ऑयस्टर मशरूम की तरह धूप में सुखाकर भी बेचा जाने लगा है. जब यह मशरूम छोटे होते हैं या कच्चे होते हैं तो बिल्कुल उबले हुए अंडे की तरह दिखता है. अगर इन्हें बाकी मशरूम की तरह पकने से पहले पका लिया जाए तो वीगन अंडे के तौर पर भी सर्व किया जा सकता है.
पैडी स्ट्रॉ मशरूम अक्सर धान के भूसे या पराली पर जिसे बंडल बनाकर रखा गया, वहां पर पनपते हैं. इन बंडलों को पानी में भिगोकर रखा जाता है या तो ये बंडल रूम टेंप्रेचर पर होते हैं या फिर इनका तापमान उबलते हुए पानी जितना होता है. इसके बाद लेयर्स में इन मशरूमों को उगाया जाता है. हर लेयर में एक दूसरे के बराबर ढेर होते हैं और अगली परत में पहली परत के आर-पार ढेर होता है. साथ ही पहले वाली परत के बराबर पर एक ढेर होता है. राइस स्ट्रॉ बेड्स दो से चार लेयर्स में होते हैं.
इन मशरूमों को उगाने के लिए 85 से 90 फीसदी नमी जरूरी है. धान के भूसे के अलावा ये मशरूम कपास के कचरे या फिर दूसरे सेल्युलोसिक कार्बनिक कचरे पर भी उगाए जा सकते हैं. अफ्रीकन जर्नल्स ऑनलाइन के एक आर्टिकल के अनुसार इन मशरूम की कटाई अगले तीन दिनों तक रोजाना 2 से 3 बार की जाती है. वोल्वेरिला मशरूम की खेती से किसान प्रति एकड़ 50 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.
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