केरल सरकार ने जैविक खेती मिशन की शुरुआत की है, ताकि किसानों को जैविक विधि से खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. इस मिशन के तहत प्रदेश में हर साल जैविक खेती के रकबे में 1,000 हेक्टेयर की बढ़ोतरी की जाएगी. इस तरह अगले पांच साल में जैविक खेती के रकबे को बढ़ाकर 5,000 हेक्टेयर करना है. वहीं, राज्य सरकार के इस फैसले से किसानों के बीच खुशी की लहर है. किसानों का कहना है कि सरकार के इस मिशन से उन्हें काफी फायदा होगा.
खास बात यह है कि केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने बीते 8 नवंबर को तिरुवनंतपुरम में मिशन के गठन की घोषणा की है. जबकि, सरकार ने 26 अक्टूबर, 2023 को औपचारिक रूप से इस मिशन को शुरू करने को लेकर आदेश जारी किए थे. इस मिशन के तहत अब राज्य कृषि विभाग द्वारा संचालित फार्मों में, कम से कम 10% क्षेत्र जैविक कृषि पद्धतियों के लिए अलग रखा जाएगा. इस मिशन की सबसे बड़ी खासियत है कि जो किसान इसका लाभार्थी बनेंगे, उन्हें अपने खेत में कम से कम पांच साल तक जैविक विधि से खेती करनी होगी.
जैविक खेती मिशन केरल में जैविक कृषि उत्पादों के प्रमाणीकरण, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए काम करेगा. साथ ही वह इसके रकबे में विस्तार करने के लिए कदम भी उठाएगा. वहीं, मिशन का एक अन्य महत्वपूर्ण काम यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज मिल सके. साथ ही मिशन कृषिकुट्टम सामूहिक और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सहयोग से केरल के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जैविक खेती योजनाएं तैयार करने की पहल भी करेगा.
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साल 2010 में केरल सरकार ने जैविक खेती नीति की घोषणा की थी.अपने चुनाव घोषणापत्र में, लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक जैविक खेती प्रोटोकॉल नाम से संस्थागत तंत्र भी बनाने का वादा किया था. वहीं, इस साल बीते सितंबर महीने में केरल सरकार ने बाजरा और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पोशाका समृद्धि मिशन बनाने के आदेश जारी किए थे.
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