घाटी में केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई नई योजनाएं और तकनीकें शुरू की हैं. उन्हीं में से एक राष्ट्रीय केसर मिशन (NSM) है. मौजूदा वक्त में राष्ट्रीय केसर मिशन (NSM) की बदौलत दुनिया के सबसे महंगे मसाले केसर की प्रति हेक्टेयर उपज 1.88 किलोग्राम (2010 में) से दोगुनी से अधिक बढ़कर 5.20 किलोग्राम (2022 में) हो गई है.
उत्पादन को बढ़ावा देने और घाटी में केसर उत्पादकों की समस्याओं को कम करने के लिए 2010 में केंद्रीय कृषि और सहकारिता मंत्रालय (Union Ministry of Agriculture and Cooperation) द्वारा 400.11 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की गई थी. दरअसल, केसर की खेती के तहत 1996 में कुल क्षेत्रफल जहां 5,700 हेक्टेयर था, वही घटकर लगभग 3,700 हेक्टेयर रह गया था.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, कृषि निदेशक (कश्मीर) चौधरी मोहम्मद इकबाल ने बताया कि उत्पादन में लगातार गिरावट दर्ज होने के बाद राष्ट्रीय केसर मिशन (NSM) लॉन्च किया गया था. यह केसर की समग्र उत्पादकता में सुधार करने और इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी था. वही मौजूदा वक्त में राष्ट्रीय केसर मिशन (NSM) के तहत केसर की फसल में कीट और रोग नियंत्रण, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और सिंचाई प्रणाली को बेहतर बनाने के साथ-साथ कटाई के बाद के मशीनीकरण को बढ़ावा देना शामिल है.
बता दें कि केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. वहीं बाजार में प्रति किलो केसर 2.5 लाख से 3.5 लाख रुपये के बीच बिक रहा है. घाटी में, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, मध्य कश्मीर के बडगाम और श्रीनगर के कुछ हिस्सों में केसर की खेती की जाती है. इसकी खेती किश्तवाड़, जम्मू में भी की जाती है.
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केसर की उपज इस साल हुई बढ़ोतरी से किसान खुश हैं. पंपोर के केसर उत्पादक गुलाम मोहम्मद ने कहा कि ईश्वर की कृपा से अनुकूल मौसम की वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल केसर का उत्पादन बेहतर हुआ है. उन्होंने कहा, “वर्षा सही समय पर हुई और इससे बेहतर उपज हुई. 2014 से लगातार सूखे जैसी स्थितियों के कारण, केसर की उपज में कमी आई थी, लेकिन पिछले साल से यह फिर से बढ़ रही है.
केसर की तुड़ाई 15 अक्टूबर से 20 नवंबर के बीच होती है. वही महीने भर के दौरान केसर से फूलों को तीन बार तोड़ा जाता है. घाटी में करीब 36,000 परिवार केसर की खेती करते हैं. कश्मीर केसर उत्पादक संघ के अध्यक्ष अब्दुल मजीद वानी ने कहा कि एनएसएम की शुरुआत के बाद से हर केसर किसान को अच्छा लाभ मिला है. उन्होंने कहा, “हमें एनएसएम के तहत कृषि विश्वविद्यालय और कृषि प्राधिकरणों द्वारा अपनाई गई नई तकनीक के बारे में भी बताया गया है."
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कृषि निदेशक इकबाल ने कहा कि 2010 में एनएसएम की शुरुआत के बाद, केसर की उपज में धीरे-धीरे वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, "हम रिकॉर्ड उत्पादन के साथ 3,815 हेक्टेयर भूमि में से ज्यादातर पुलवामा में 2,598 हेक्टेयर भूमि को उपजाऊ बनाने में सफल हुए हैं." कृषि निदेशक के अनुसार, NSM ने 2020 में 10 वर्षों में पहली बार केसर की वार्षिक उपज 18.05 मीट्रिक टन को पार कर ली. इस साल उत्पादन और रिकॉर्ड तोड़ने की उम्मीद है.
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