सिद्धारमैया गन्ना किसानों के साथ मीटिंग करेंगे (File Photo- PTI)कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को कहा कि गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) तय करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तरी कर्नाटक में गन्ने के किसान 3,500 रुपये प्रति टन की मांग को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपना आंदोलन और तेज न करें और शुक्रवार को बेंगलुरु में बातचीत के लिए बुलाया.
रिपोर्टर्स से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने चल रहे आंदोलन पर चर्चा करने के लिए हावेरी, बेलगावी, विजयपुरा और बागलकोट के चीनी मिल मालिकों और किसानों के प्रतिनिधियों के साथ एक मीटिंग बुलाई है. उन्होंने कहा, “FRP केंद्र सरकार तय करती है. इस साल, FRP रिकवरी 10.25 प्रति टन तय की गई है, जिसमें कटाई और ट्रांसपोर्ट भी शामिल है.”
मुख्यमंत्री ने किसानों से मीटिंग में शामिल होने और हाईवे जाम न करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, “मैं किसानों से अनुरोध करता हूं कि वे इस तरह से हड़ताल न करें और जनता को परेशानी न पहुंचाएं,” और कहा कि वह तुरंत प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगेंगे.
सिद्धारमैया ने चीनी रेगुलेशन और इथेनॉल आवंटन को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने न सिर्फ गन्ने की कीमतें तय कीं, बल्कि चीनी को भी रेगुलेट किया, एक्सपोर्ट रोक दिया, और राज्य की ओर से 270 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन करने के बावजूद कर्नाटक को सिर्फ 47 करोड़ लीटर इथेनॉल आवंटित किया.
सीएम सिद्धारमैया ने विपक्ष पर “किसानों की मासूमियत का फायदा उठाने” का आरोप लगाया, जबकि राज्य ने डिजिटल वजन मशीनों के लिए टेंडर निकालने और कटाई और उपज की निगरानी के लिए कमेटियां बनाने जैसे कदम उठाए हैं.
सीएम सिद्धारमैया के अनुसार, कर्नाटक ने 2024-25 में 522 लाख मीट्रिक टन गन्ने का उत्पादन किया. उन्होंने कहा, “कल सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक, हम गन्ने के किसानों से मिलेंगे, और दोपहर 1 बजे से बेलगावी और अन्य जिलों के किसानों के नेताओं से मिलेंगे.”
इससे पहले दिन में बेलगावी में, कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच के पाटिल ने विरोध कर रहे किसानों से मुलाकात की और उन्हें मुख्यमंत्री के साथ बातचीत के लिए बुलाया. हालांकि, किसानों ने जोर देकर कहा कि वे शाम तक राज्य की ओर से ज्यादा कीमत घोषित करने पर ही विरोध प्रदर्शन खत्म करेंगे.
किसानों के नेताओं ने कहा कि वे चाहते हैं कि डिप्टी कमिश्नर स्थानीय स्तर पर फैसला लें, और बेंगलुरु जाने से इनकार कर दिया. यह कहते हुए कि ऐसा करने से उनके समर्थकों को “गलत संदेश जाएगा”.
बेलगावी में सातवें दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा और उत्तरी कर्नाटक के कई हिस्सों में फैल गया, जिसमें सड़क जाम, टायर और पुतले जलाना, और किसान समूहों, छात्र संगठनों और बीजेपी का समर्थन देखने को मिला. राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र रात भर प्रदर्शनकारियों के साथ रहे, और पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सरकार से किसानों को 3,500 रुपये प्रति टन देने की अपील की. इसमें उन्होंने सुझाव दिया कि फैक्ट्रियां 3,300 रुपये दें और राज्य सरकार 200 रुपये मिलाए.
मंत्री पाटिल ने कहा कि शुक्रवार सुबह चीनी मिलों और अधिकारियों से मिले इनपुट की समीक्षा की जाएगी और शुक्रवार दोपहर तक फैसला बता दिया जाएगा. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा, "7 नवंबर को दोपहर 2 बजे तक, हम आपको सरकार के फैसले के बारे में बता देंगे जो ज्यादातर किसानों के हक में होगा."(सगय राज की रिपोर्ट)
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