भारत पाम तेल का बड़ा आयातक है. हमारा देश इंडोनेशिया और मलेशिया से हर साल बड़े पैमाने पर पाम तेल मंगाता है. लेकिन इस साल मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे पाम तेल उत्पादक देशों द्वारा पाम तेल को ज्यादा से ज्यादा बायो डीजल कन्वर्ट करने की नीतियों से इसकी कीमतों में तेजी कायम रह सकती है. जिससे हमारे देश पर आयात बिल का दाबाव बढ़ सकता है. हालांकि, कुछ बाजार विशेषज्ञ ऐसी भी उम्मीद जाहिर कर रहे हैं कि बायोडीजल के लिए पाम तेल के बढ़ते उपयोग के कारण 2024 में पाम तेल की कीमतें स्थिर हो जाएंगी. लेकिन कीमतों में कोई बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है.
खाद्य और कृषि संगठन के तिलहन आउटलुक में कहा गया है कि जनवरी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाम तेल की कीमतों में मामूली वृद्धि हुई है. क्योंकि प्रमुख उत्पादक देशों में मौसमी रूप से कम उत्पादन और मलेशिया में प्रतिकूल मौसम की स्थिति है. इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम बागानों पर अल नीनो का हल्का प्रभाव देखा गया है, जिसके जून 2024 तक समाप्त होने की उम्मीद है.
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ऐसी स्थितियों के बीच एक बाजार विशेषज्ञ ने कहा कि इंडोनेशिया पाम तेल से 100 प्रतिशत बायो डीजल योजना तैयार कर रहा है. उसे पाम तेल निर्यात में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह घरेलू बाजार में तेल की खपत करके खुश है. इसका मतलब यह है कि अब आयातकों को पाम तेल की आपूर्ति के बारे में चिंता करने की ज़रूरत होगी. खासकर भारत जैसे देशों को, जो बड़े पाम तेल आयातक हैं. इंडोनेशिया और मलेशिया में बायोडीजल प्रतिबद्धताओं के कारण निर्यात वृद्धि धीमी हो सकती है.
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर का कहना है कि जिस तरह से हम गन्ने से इथेनॉल बना रहे हैं. उसी तरह इंडोनेशिया और मलेशिया पाम तेल से बायो डीजल बनाने का काम कर रहे हैं. उन्हें पाम तेल का निर्यात करने की बजाय अपने देश में बायो डीजल बनाना ज्यादा उचित लग रहा है. जहां तक उत्पादन की बात है तो दुनिया के सबसे बड़े पाम तेल उत्पादकों इंडोनेशिया और मलेशिया में उत्पादन अच्छा है. ये देश फसल के नुकसान का माहौल बनाकर सिर्फ आयातक देशों से दाम बढ़वाने का प्रेशर बनाने के लिए काम कर रहे हैं. हालांकि फरवरी में भारत का पाम तेल आयात नौ महीनों में सबसे निचले स्तर पर गिर गया है.
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