निर्यात बैन के बावजूद भी केंद्र सरकार अपने पड़ोसी देश को प्याज निर्तायत करेगी. खास बात यह है कि भारत बांग्लादेश को निर्यात करने के लिए निजी व्यापारियों से 1,650 टन प्याज खरीदेगी. कहा जा रहा है कि पिछले तीन महीने के दौरान भारत से इस खाद्य पदार्थों का पहला आधिकारिक निर्यात होगा. क्योंकि देश ने 8 दिसंबर से 31 मार्च तक प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन मार्च के पहले सप्ताह में केंद्र ने उन देशों को 64,400 टन प्याज के निर्यात की अनुमति दी थी. तब सरकारी अधिकारियों ने कहा था कि उसे राजनयिक चैनलों के माध्यम से अनुरोध प्राप्त हुए थे.
द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उद्योग के लोगों ने कहा कि सरकार की निर्यात एजेंसी नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (एनसीईएल) बांग्लादेश को निर्यात के लिए निजी व्यापारियों से 29 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्याज खरीदेगी. दरअसल, पिछले साल सितंबर- अक्टूबर के दौरान प्याज काफी महंगा हो गया था. ऐसे में बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. इससे घरेलू कीमतों में गिरावट आई है, जबकि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भी तेज वृद्धि हुई. क्योंकि भारतीय प्याज की अनुपलब्धता के कारण वैश्विक कमी हो गई है.
ये भी पढ़ें- Animal Food Security: वाइस चांसलर सम्मेलन में किसान-पशुपालकों के लिए 8 गारंटी पर हुई चर्चा, पढ़ें डिटेल
मौजूदा रमज़ान सीज़न के दौरान भारत के पारंपरिक खरीदारों जैसे बांग्लादेश, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ देशों से मांग अपने चरम पर है. प्याज निर्यातकों ने हाल ही में केंद्र को पत्र लिखकर दावा किया था कि निर्यात प्रतिबंध के बाद से भारी मात्रा में प्याज - सामान्य समय के दौरान व्यापार का 50 प्रतिशत से अधिक - देश से बाहर तस्करी की गई थी. वर्तमान में, महाराष्ट्र के नासिक जिले के थोक बाजारों में प्याज की कीमतें 7 रुपये किलो से 16 रुपये किलो के बीच हैं. ताजा रबी फसल की लगातार आवक से कीमतों में और नरमी आ सकती है.
एनसीईएल बांग्लादेश में प्याज खरीदारों से कितनी कीमत वसूलेगी, इसका पता नहीं चल सका है. उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि निर्यात एजेंसी को काफी मुनाफा होने की उम्मीद है, क्योंकि बांग्लादेश में प्याज वर्तमान में 80 से 90 रुपये किलो बिक रहा है. नासिक स्थित उद्योग के एक दिग्गज ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि किसानों और निजी व्यापार को ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों से लाभ नहीं मिल सकता है. हॉर्टिकल्चर एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (HEPA) के अध्यक्ष अजीत शाह ने कहा कि जनवरी से मार्च तक वैश्विक बाजार में भारत का दबदबा रहता है. मई से मिस्र और तुर्की से नई फसल आने के साथ ही प्याज की वैश्विक कमी खत्म हो जाएगी.
ये भी पढ़ें- अफ्रीकी फिल्म ‘द बॉय हू हार्नेस्ड द विंड’: एक किशोर द्वारा अपने गांव को सूखे से बचाने के संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today