
जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. इसका मानव जीवन पर सीधा असर पड़ रहा है. साथ ही बढ़ते तापमान की वजह से गेहूं, धान सहित अन्य फसलों के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ा है. वहीं धूप बढ़ने की वजह से चाय की खेती भी काफी प्रभावित हुई है. असल में बिहार में सिर्फ किशनगंज जिले में ही चाय के बागान हैं. वहां चाय की खेती करने वाले किसान तापमान में बढ़ोत्तरी से परेशान हैं. चाय किसानों का कहना है कि इस बार मार्च व अप्रैल का महीना अन्य सालों की तुलना में अधिक गर्म रहा है. इसकी वजह से चाय के पत्तों में कीड़ों की समस्या बढ़ गई है. साथ ही धूप से पत्तियां जल रही हैं और उनके विकास का अनुपात काफी कम है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ना तय है.
किशनगंज जिला चाय की खेती के लिए जाना जाता है. ठाकुरगंज, पोठिया प्रखंड में करीब 21000 हेक्टेयर से ज्यादा भू-भाग में चाय की पैदावार होती है. किशनगंज की जलवायु के अनुसार इसे बिहार का दार्जलिंग भी कहा जाता है. वहीं पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग व सिलीगुड़ी से सटा होने की वजह से किशनगंज की आबोहवा चाय उत्पादन के लिए मुफीद हैं. यहां 1994 के बाद से ही चाय की खेती हो रही है. किशनगंज जिले में मुख्य रूप से धान, मक्का, अनानास की खेती बड़े पैमाने पर होती है.
ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती करती है पति-पत्नी की जोड़ी, सालाना 7 लाख रुपये से अधिक की कमाई
किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड के गिलहबारी गांव के रहने वाले सपन सिंह ने करीब 5 एकड़ में चाय की खेती की है, लेकिन वह मानते हैं कि इस साल गर्मी अन्य साल की तुलना में अधिक पड़ रही हैं और इसकी वजह से रेड स्पाइडर कीड़े लग रहे हैं और इसकी वजह से पत्तियां लाल हो जाती है. तो नई कलियां नहीं आ पाती है. साथ ही पत्तियों का विकास उस अनुपात में नहीं हो रहा है. वे कहते हैं कि कीड़ों को मारने के लिए जिन केमिकल दवा का उपयोग हो रहा है. उसके चलते उत्पादन पर असर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि जहां कभी दो से तीन बार अप्रैल में चाय के बागान की सिंचाई होती थी. वहीं इस साल पांच से छह बार तक सिंचाई करनी पड़ रही है.
चाय की खेती पर तापमान की वृद्धि किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं है. इसी गांव के दूसरे किसान दलजीत सिंह बताते हैं कि गर्मी की वजह से चाय के पत्तों का विकास नहीं हो रहा है. साथ ही गर्मी की वजह से कीड़े चाय के पत्तों को खराब कर रहे हैं. वहीं दार्जलिंग में मौसम बढ़िया है. इसकी वजह से वहां कीड़े नहीं लग रहे हैं.
ये भी पढ़ें- बिहार का सब्जी वाले गांव, समूह बना कर होती है खेती...मोटा मुनाफा कमा रहे किसान
किसान तक से बातचीत करते हुए गिलहबारी गांव के किसान दुलजीत सिंह बताते हैं कि करीब एकड़ में 1500 से 2000 किलो चाय की पत्ती निकलती हैं, लेकिन इस साल प्रति एकड़ 600 से 700 किलो पत्ती निकलने का अनुमान है. आगे वह कहते हैं कि एक किलो पत्तियों से करीब ढाई सौ ग्राम चाय तैयार होती है, लेकिन इस साल गर्मी की वजह से 200 ग्राम तक चाय तैयार हो पाएगी. वहीं कंपनी कम दाम में चाय के पत्तियों की खरीदारी करेगी. किशनगंज जिले में करीब 74 से 75 लाख किलो तक चाय का उत्पादन होता है. वहीं हर 40 दिनों के अंतराल पर पत्तियों की तुड़ाई की जाती है. आखिर में सपन सिंह कहते हैं कि प्रति एकड़ सामान्य दिनों में चाय की खेती में 5 से 6 हजार रुपए तक खर्च आता है. अभी हाल के समय में 10 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च आ रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today