
Save Crops in Winter: उत्तर प्रदेश में सर्दी अपने पूरे शबाब पर है. पहाड़ों में हो रही बर्फबारी के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी सर्दी का सितम देखने को मिल रहा है. वहीं सर्दी बढ़ने के साथ-साथ कोहरे की वजह से किसानों की फसलों खराब होने का खतरा अधिक मंडरा रहा है. बदलते मौसम को देख मौसम वैज्ञानिक ने पाले की संभावना जताई है. साथ ही पाले से बचाव के उपाय भी बताए हैं. इसी कड़ी में लखनऊ आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने किसान तक से बातचीत में बताया कि शीतलहर और कड़ाके की सर्दी से आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग होने की संभावना अधिक हो जाती है. इसके रोकधान के लिए पानी में 2 ग्राम मैंकोजेब का घोल बनाकर अपने खेतों में छिड़काव करें. उन्होंने बताया कि मध्य रात्रि के बीच हवा की दिशा में धुंध और हल्की सिंचाई करें, जिससे नमी बनी रहे.
इसी कड़ी सरसों और राई में फूलों का गिरना शुरू हो जाता है. और शारीरीक विकास नहीं होता. ऐसे में फसलों को घने कोहरे और ठंड से बचाने के लिए हल्की और बार-बार सिंचाई करे. वहीं अधिक ठंड में दाल वाली फसलों में विकास रुक जाता है. दलहनी फसलों में उड़द , मूंग ,मसूर और अरहर जैसी दलहनी फसलों को शीतलहर के प्रभाव से बचाने के लिए मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि हल्की सिंचाई करे. उन्होंने कहा कि फसलों पर थायोयूरिया और सल्फुरिक एसिड का पानी में घोल बनकर छिड़काव करने से फसलों को नुकसान नहीं होगा.
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि अधिक सर्दी और कोहरा पड़ने से सब्जियां जैसे प्याज, टमाटर, मिर्ची और बैगन में ग्रोथ कम होने लगता है और सब्जियां गिरने लगती है. ऐसे में बार-बार हल्की सिंचाई करते रहे. सिंह ने आगे बताया कि इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है और नुकसान की मात्रा कम हो जाती है.
सिंचाई बहुत ज्यादा नहीं करनी चाहिए, सिर्फ इतनी सिंचाई हो कि खेत गीला हो जाए. वहीं रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है. इसके लिए दो व्यक्ति सुबह-सुबह एक रस्सी को उसके दोनों सिरों से पकड़ कर खेत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फसल को हिलाते चलते हैं. इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है और फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है.
मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि आलू, सरसों, गेहूं व अन्य फसलों को कोहरे से सबसे अधिक नुकसान होता है. बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है. ऐसे में सुबह के समय इन फसलों की दो-तीन दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें, जिससे कोहरे का प्रभाव फसल पर ना पड़े और फसल की अच्छी पैदावार हो सके, जिससे किसानों को किसी तरह का नुकसान ना हो.
वहीं सर्दियों में गेंदा की फसल एक ऐसी फसल है, जो कीट लगने से अक्सर खराब होने का खतरा मंडराता रहता है. भीषण सर्दी और कोहरे की चपेट में गेंदा की फसल पूरी तरह आ चुकी है और उसमें तीन प्रकार का रोग लगने लगा है. जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. गेंदा में मजा जनक रोग लगता है, जिससे फसल गलने और पत्तियां सूखने लगते हैं. दूसरा फंगस रोग अत्यधिक लगता है, जिससे पौधा झुलसने लगता है और फसल में सिकुड़न रोग अत्याधिक लगने लगता है. जिससे फसल खराब होने की कगार पर पहुंच जाती है.
किसानों को नीम के तेल का छिड़काव समय-समय पर गेंदा की फसल में करना चाहिए और कीटनाशक दवाईयों का इस्तेमाल करना चाहिए. जिससे फसल में लगे कीट की रोकथाम हो सके और फसल सुरक्षित रहे. सीओसी, मेटाग्शील और अन्य कीटनाशक दवाइयां का इस्तेमाल स्प्रे द्वारा किया जाता है और कोहरे के मौसम में सिंचाई का आवश्यक ध्यान रखें. जिससे फसल को बचाया जा सके.
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