पंजाब में गेहूं में मिली ये खतरनाक बीमारी, किसानों से अपील- हरगिज इकट्ठा न करें बीज ​​​​​​​

पंजाब में गेहूं में मिली ये खतरनाक बीमारी, किसानों से अपील- हरगिज इकट्ठा न करें बीज ​​​​​​​

करनाल बंट फंगस से होने वाली बीमारी है जो गेहूं को प्रभावित करती है. इससे अनाज का रंग फीका पड़ जाता है, आंशिक तौर पर धब्बेदार हो जाता है और इससे मछली जैसी गंध आती है. यह मुख्य तौर पर संक्रमित बीजों और मिट्टी के माध्यम से फैलता है. गुरुसर, मधीर, हरिके कलां, कोटली संघर और कुछ और गांवों में इस बीमारी की सूचना मिली है.

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पंजाब में गेहूं में मिली ये खतरनाक बीमारी, किसानों से अपील- हरगिज इकट्ठा न करें बीज ​​​​​​​पंजाब के कुछ गांवों में फैली अजब-गजब बीमारी (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

पंजाब के मुक्तसर जिले के कुछ हिस्सों में काटे गए नए गेहूं में करनाल बंट नामक फंगल बीमारी पाई गई है. इससे किसानों और कृषि अधिकारियों में चिंता बढ़ गई है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने इसकी मौजूदगी की पुष्टि की है. अंतिम परीक्षण के लिए नमूने पंजाब एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी (पीएयू), लुधियाना को भेजे गए हैं. किसान फिलहाल परीक्षण के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं और अधिकारी इस बीमारी से पैदा हुई स्थिति से निबटने की तैयारी में लग गए हैं. 

किसानों से की गई अपील 

गुरुसर, मधीर, हरिके कलां, कोटली संघर और कुछ और गांवों में इस बीमारी की सूचना मिली है. अखबार द ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए किसानों से अपील की है कि वो प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले अनाज को अगले सीजन के लिए बीज के तौर पर इस्तेमाल न करें. इससे बीमारी को और फैलने से रोका जा सकेगा.  गौरतलब है कि मुक्तसर कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां का गृह जिला है. 

द ट्रिब्यून ने मुक्तसर के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. करणजीत सिंह गिल के हवाले से लिखा है, 'कुछ गांवों में करनाल बंट रोग का पता चला है. हालांकि, हमने अंतिम पुष्टि के लिए पीएयू, लुधियाना को नमूने भेजे हैं. स्थानीय मंडियों के दौरे के दौरान मैंने मुक्तसर अनाज बाजार में एक ढेर पर 1-2 प्रतिशत काले गेहूं के दाने देखे. कोटली संघर गांव में, इनका प्रतिशत थोड़ा ज्‍यादा था. कुछ ढेरों पर ये धब्‍बे करीब 2-3 प्रतिशत थे.' 

क्‍यों फैली गेहूं में यह बीमारी 

उन्होंने कहा, 'पूरे मौसम में फसल स्वस्थ दिख रही थी और ऐसे में किसानों ने फफूंदनाशक के छिड़काव से बचे हैं. ऐसा लगता है कि यह बीमारी इसलिए ही फैली है.' उनका कहना था कि यह फसल कटने के बाद ही नजर आई है. उनका कहना था कि अगर पहले पता होता तो किसानों को निवारक फफूंदनाशक का सुझाव दिया जाता. अब किसानों को जोर देकर कहा जा रहा है कि वो इन अनाजों को अगले साल के लिए बीज के रूप में इकट्ठा न करें. हालांकि संक्रमित फसल को पूरी तरह से साफ करने के बाद भी मनुष्य और जानवर खा सकते हैं. 

किसानों की चिंताएं बढ़ीं 

इस बीच बीमारी का पता चलने से अनाज की खरीद को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. किसान नेता थाना सिंह ने कहा, 'यह मुद्दा तब सामने आया जब कुछ किसानों ने बताया कि खरीद के दौरान काला पड़ा अनाज खारिज किया जा रहा है. अगर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल खरीदने में विफल रहती है तो हमारे पास विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.' एक और किसान नेता कुलदीप सिंह ने भी इसी तरह की चिंता जताई. उन्होंने कहा, 'हमें उचित मूल्य मिलना चाहिए. कई किसानों का मानना ​​है कि यह बीमारी घटिया बीजों के कारण होती है.  मैं साथी किसानों से आग्रह करता हूँ कि वे अपनी उपज को औने-पौने दामों पर न बेचें.' 

करनाल बंट क्या है?

करनाल बंट फंगस से होने वाली बीमारी है जो गेहूं को प्रभावित करती है. इससे अनाज का रंग फीका पड़ जाता है, आंशिक तौर पर धब्बेदार हो जाता है और इससे मछली जैसी गंध आती है. यह मुख्य तौर पर संक्रमित बीजों और मिट्टी के माध्यम से फैलता है. 

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