खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की खेती की तैयारियां शुरू हो गई हैं. यह इसकी नर्सरी डालने का सही वक्त है. लेकिन क्या आपको पता है कि कितने खेत के लिए कितने क्षेत्र में नर्सरी डालनी होगी. पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब दिया है. अगर आपको एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई करनी है तो 800-1000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में पौध यानी नर्सरी तैयार करना पर्याप्त होगा. नर्सरी के क्षेत्र को 1.25 से 1.5 मीटर चौड़ी तथा सुविधानुसार लंबी क्यारियों में बांटे. पौधशाला में बुवाई से पहले बीज उपचार जरूर करें, ताकि धान में बीमारियों का खतरा कम हो जाए.
बीज उपचार के लिए 5 किलोग्राम बीज के लिए बावस्टिन 10-12 ग्राम और 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन को 10 लीटर पानी में घोल लें. आवश्यकतानुसार इस घोल को बनाकर इसमें 12-15 घंटे के लिए बीज को डाल दें. उसके बाद बीज को बाहर निकालकर किसी छायादार स्थान में 24-36 घंटे के लिए ढककर रखें और पानी का हल्का-हल्का छिड़काव करते रहें. बीज में अंकुर निकलने के बाद पौधशाला में छिड़क दें.
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पूसा बासमती 1985, पूसा बासमती 1979, पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1637, पूसा 44, पूसा 1718, पूसा बासमती 1401, पूसा सुगंध 5, पूसा सुगंध 4 (पूसा 1121), पंत धान 4 और पंत धान 10 अधिक उपज देने वाली किस्में हैं. इनमें आप अपने क्षेत्र के हिसाब से चयन कर सकते हैं.
अरहर की बुवाई इस सप्ताह कर सकते हैं. अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें. बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें. पूसा के वैज्ञानिकों ने किसानों से अपील की है कि वो बीजों को बोने से पहले अरहर के लिए उपयुक्त राईजोबियम तथा फास्फोरस को घुलनशील बनाने वाले जीवाणुओं (पीएसबी) फफूंद के टीकों से उपचार कर लें. इस उपचार से फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है. पूसा अरहर-16, पूसा 2001, पूसा 2002, पूसा 991, पूसा 992, पारस तथा मानक किस्मों की बुवाई उचित रहेगी.
मूंग एवं उड़द की फसल की बुवाई के लिए किसान उन्नत किस्मों का चयन करें. अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें. पूसा-1431, पूसा-1641, पूसा विशाल, पूसा-5931, एस एम एल-668 और सम्राट किस्म अच्छी बताई गई हैं. उड़द में टाईप-9, टी-31, टी-39 आदि की बुवाई की सलाह दी गई है. बुवाई से पहले बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें.
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