खरीफ की मुख्य फसल धान में किसान की मेहनत पर पानी फेरने के लिये कई तरह के कीट पतंग घात लगाये बैठे रहते हैं औऱ इनकी रोकथाम करना चुनौती भरा कार्य हो जाता है,राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के अनुसार कीट- रोगों से लगभग 24 फीसदी से लेकर 41फीसदी तक नुकसान पहुंचता है. इस समय देश मे धान की बुवाई और रोपाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है इसलिए जरूरी है धान की शुरूआती अवस्था में लगने वाले हानिकारक कीटों धान के दुश्मन कीट तना छेदक ,भूरा फूदका और पत्तीलपेटक पहचान कर सही समय पर उनकी रोकथाम और नियंत्रण के लिए उचित उपाय अपनाने की. जिससे धान की अच्छी उपज मिल सके. कृषि विज्ञान केन्द्र पश्चिम चम्पारण के हेड और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ आर.पी. सिंह ने किसान तक को बताया कि दरअसल फसल की शुरुआती अवस्था में इन कीटों पर लगातार निगरानी रखना. जरूरी है. इन कीटों की रोकथाम के लिए मौजूद सभी संसाधनों का इस्तेमाल करना होता है.
डॉ आर.पी सिंह ने बताया कि धान में तना छेदक यानि स्टेम बोरर सुंडियां ही फसल को हानि पहुंचाती हैं, ये कीट धान की रोपाई के एक माह बाद किसी भी अवस्था में हानि पहुंचाते हैं. इसकी सुंडी मुख्य तने के अन्दर घुसकर तने को खाती है इनके हानि के लक्षणों को ‘डेड-हार्ट’ एवं बाली के बाद ‘सफेद बाली’ के नाम से जाना जाता है.
पौध सुरक्षा विशेषज्ञ के अनुसार तना छेदक इसकी निगरानी औऱ रोकथाम के लिए धान के तना छेदक कीटों को नियंत्रित करने के लिए फेरोमोन ट्रेप का प्रयोग करें. एक एकड़ खेत की लिए 5 से 6 फेरोमेन ट्रेप निगरानी करे .इसके कीटों को आकर्षित करने एक प्रकाश जाल लगाएं जैविक नियंत्रण के लिए रोपाई के 28 दिनों के बाद एक साप्ताह के अंतराल पर तीन बार अंडा परजीवी ट्राइकोग्रामा जैपोनिकम 5 सीसी प्रयोग करें. इस कीट के अधिक प्रकोप होने पर कारटैप हाइड्रोक्लोराइड4 जी या फिप्रोनिल 0.3 जी 4 किलोग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करें या या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50 एस पी 1 मिली लीटरदवा प्रति लीटर पाना मिलाकर का छिड़काव करें.
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धान की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले कीट धान के फुदके या प्लानट हापर है पौध ये कीट के 6 प्रकार के होते है भूरे,काले और सफेद औऱ हरे मटमैले रंग के छोटे-छोटे कीट होते हैं इसमे सबसे हानिकारक कीट है भूरा फूदका कीट जिसे ब्राउन प्लानट हापर बीपीएच कहते है. इनके शिशु एवं वयस्कदोनों ही पौधों के तने और पत्तियों से रस चूसते है. जिससे फसल कमजोर होकर गिरने लगती है. इस कीटसे धान की फसल को बहुत हानि होती है ,
पौध सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि बीपीएच कीट से छुटकारा पाने के लिए के जलजमाव को रोकें या अधिक वर्षा होने पर जल निकासी की व्यवस्था करे .इसके अलावा, नाइट्रोजन उर्वरकों के प्रयोग को कम करे दूसरा खेत से खरपतवार मुक्त रखें .क्योकि खरपतवार से बीपीएच कीट तेजी से बढ़ते है बीपीएच रोकथाम के लिए परजीवी ततैया को प्रयोग करे . ये परजीवी बीपीए्च के शरीर में अपने अंडे देता है और अंततः उसे मार देता है. इसके अलावा नीम की आधारित जैव कीटनाशको का उपयोग भी बीपीएच आबादी को नियंत्रित करने में प्रभावी हो सकता है. इस कीट का अधिक प्रकोप होने इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल, 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी या कार्बरिल 50 डब्ल्यू पी, 2 ग्राम प्रति लीटर छिड़काव करें.छिड़काव करते समय नोज़ल पौधों के तनों पर रखें.
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पत्ता लपेटक यानि लीफ फोल्डर कीट की केवल सुंडियां ही फसल को हानि पहुंचाती हैंयह कीट फसल पर जुलाई से लेकर अक्टूबर मध्य फसल पर आक्रमण करता है. सूंडी पत्तों के दोनों किनारों को लपेटकर इनके पत्तियो के हरे पदार्थ को खा जाती है. अधिक प्रकोप की अवस्था में फसल की पत्तिया झिल्ली की तरह नजर आती है. लीफ हॉपर कीट पत्तियों में लिपटकर उनमें छिप जाते हैं, लेकिन पत्तियों को थोड़ा सा भी हिलाने पर कीट गिर जाते हैं.
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पत्ती लपेटक कीट का रोकथाम के लिए पत्तियों को हिलाएं और कीट को गिरा दें. इन्हें हटाने का यह बहुत आसान तरीका है. इसके लिए लगभग एक प्लास्टिक की रस्सी एक किनारे से दूसरे किनारे धान के पौधों पर बाएं से दाएं चलाते हैं इसमें धान की फसल के ऊपरी हिस्से को छूते रहें, ऐसा करने से अंदर छिपे कीट पत्तियों के ऊपरी किनारे को लपेटकर खेत में गिर जाते हैं, इस विधि को हफ्ते में एक बार करें और कोशिश करें कि खेत में हल्का पानी भी रहे तो बेहतर रहेगा. इससे कीड़े पानी में गिर जाते हैं और मर जाते हैं.खरपतवार की छँटाई करके मेड़ को साफ़ रखें.अधिक प्रकोप होने पर क्विनलफॉस 25 ई. सी, 2.5.मिलीलीटर प्रति लीटर या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई सी, 2.5 मिलीलीटर प्रतिलीटर पानी में मिलाकर दवा का छिड़काव करें.
डॉ आर.पी.सिंह ने कहा कि रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब अन्य सभी विधियां विफल हो गई हों क्योंकि अनुचित तरीके से उपयोग करने पर्यावरणीय क्षति का कारण बन सकती है.किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ऐसे कीटनाशकों का उपयोग करें जो प्रभावी और उपयोग में सुरक्षित दोनों हों
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