scorecardresearch
Kharif Special: बढ़िया उत्पादन के लिए कर लें धान की नर्सरी तैयार, इन बातों का रखें ध्यान

Kharif Special: बढ़िया उत्पादन के लिए कर लें धान की नर्सरी तैयार, इन बातों का रखें ध्यान

खरीफ की मुख्य फसल धान आर्थिक और सामाजिक दोनों नजरिये से एक अहम फसल है. इसे देश के किसानों की लाइफलाइन भी कहा जाता है. देश में लगभग 65 प्रतिशत लोगों का यह मुख्य आहार है. धान की नर्सरी अच्छी होगी तो फसल और पैदावार दोनों ही अच्छे होंगे. जानें बीज चयन से लेकर नर्सरी के पौधों का प्रबंधन कैसे करें ताकि धान की नर्सरी के पौधे स्वस्थ रहें.

advertisement
Kharifnama Kharifnama

खरीफ की मुख्य फसल धान आर्थिक और सामाजिक दोनों नजरिये से एक अहम फसल है. यह देश के किसानों की लाइफलाइन कही जाती है. किसान अब इसकी खेती के लिए नर्सरी तैयारी करेंगे. अगर धान की नर्सरी अच्छी होगी तो फसल और पैदावार दोनों ही अच्छे होंगे. बीज चयन से लेकर नर्सरी के पौधों का प्रबंधन कैसे करें ताकि धान की नर्सरी के पौधे स्वस्थ रहें, IARI पूसा के एग्रोनॉमी डिवीजन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजीव कुमार सिंह ने कहा कि धान की नर्सरी तैयार करने के लिए कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. इसके लिए सही बीज का चुनाव करना बहुत जरूरी होता है. नर्सरी के लिए अच्छी उपज देने वाली अच्छी रोगरोधी किस्मों के बीजों का चयन करें और  बेहतर अंकुरण वाले प्रमाणित बीज लें.

खेत का चुनाव और खेत की तैयारी में रखें ध्यान

डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि जिन क्षेत्रों में नर्सरी तैयार करने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है, वहां अधिकांश धान की नर्सरी गीली विधि से तैयार की जाती है. इस विधि से 25 से 35 दिनों में नर्सरी तैयार हो जाती है. इस विधि में बीजों को बोने से पहले कुछ दिनों तक क्यारियों में गीला रखा जाता है. नर्सरी लगाने के लिए चिकनी दोमट या दोमट मिट्टी वाले खेत चुनें. खेत की 2 से 3 बार जुताई कर खेत को समतल कर मिट्टी को भूरभूरा कर लें. मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई मई के अंतिम सप्ताह से जून के दूसरे सप्ताह तक करें. जल्दी पकने वाली किस्मों की बुवाई जून के दूसरे सप्ताह से जून के तीसरे सप्ताह तक करें.1.0 से 1.5 मीटर चौड़ी, 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची और नर्सरी के लिए जितनी लंबी जरूरत हो, उतनी लंबी क्यारियां बना लें. एक एकड़ धान की रोपाई के लिए 300 वर्ग मीटर की नर्सरी पर्याप्त होती है.

ये भी पढ़ें- Kharif Special: फसलों को कीटों से ऐसे बचाएं क‍िसान, कम लागत में होगा अध‍िक फायदा


बीज की मात्रा और बीज उपचार

कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने बताया कि मोटे दाने वाली किस्मों के लिए 12 से 13 किलोग्राम बीज और बारीक दाने वाली किस्मों के लिए 10 से 12 किलोग्राम बीज और संकर धान की किस्मों के लिए 5-6 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की जरूरत होती है, नर्सरी में अधिक बीज बोने से पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनके सड़ने का भी डर रहता है. बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों का उपचार किया जाता है. बीज उपचार के लिए कैप्टान, थिरम, मैनकोजेब, कार्बेन्डाजिम एवं टिनोक्लोजोल में से किसी एक कवकनाशी को 2 से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से प्रयोग करना चाहिए.  धान जीवाण अंगमारी रोग  से बचाव के लिए 0.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन प्रति किग्रा  बीज से उपचारित करें.

ये भी पढ़ें- Kharif Special: अच्छे बीज के साथ ही बहुत जरूरी है स्वस्थ म‍िट्टी, जांच के ल‍िए खेत से ऐसे लें नमूना

बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ाएं 

डॉ. राजीव ने बताया कि अगर घर पर बीज बोने जा रहे हैं तो खराब बीजों को निकालने के लिए बीजों को 2 प्रतिशत नमक के पानी घोल में डालकर अच्छी तरह चलाकर ऊपर तैर रहे हल्के बीजों को हटा दें. बुवाई के लिए नीचे बैठे बीजों का प्रयोग करें, अंकुरण क्षमता बढ़ाने और अंकुरों के विकास में तेजी लाने के लिए, 15 किलो बीजों को 200 मिलीलीटर सोडियम हाइपोक्लोराइड के घोल में 20 लीटर पानी में भिगोकर सुखा लेना चाहिए. नर्सरी में बीजों को अंकुरित करने के लिए बीजों को जूट की थैली में डालकर 16 से 20 घंटे के लिए पानी में भिगो दें. अगर अंकुरण 80 प्रतिशत से कम हो तो उसी अनुपात में बीज दर बढ़ाएं और बीजों को क्यारियों में बोने के बाद मिट्टी की हल्की परत से ढक दें.

ये भी पढ़ें- Kharif Special: आम-अमरूद की सघन बागवानी करें क‍िसान, एक नहीं कई होंगे लाभ

धान की नर्सरी में खाद और उर्वरक प्रबंधन

प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजीव ने कहा ं 300 वर्ग मीटर नर्सरी  क्षेत्रफल में लगभग 250 किलोग्राम गोबर की  सड़ी खाद, यूरिया 6 से 8 किलो , डीएपी 4 किलोंग्राम ,2.5 किलो , 1 किलो म्युरेट ऑफ पोटाश और  1 किलो जिंक सल्फेट खेत की तैयारी के समय अच्छी तरह से मिलाना चाहिए .बोआई के समय खेत की सतह से पानी निकाल दें और बोआई के 3 से 4 दिनों तक केवल खेत की सतह को पानी से तर रखें. जब अंकुर 5 सेंटीमीटर के हो जाएं, तो खेत में 1 से 2 सेंटीमीटर पानी भर दें. जैसे पौधे बढ़ते जाएं, पानी की मात्रा भी बढ़ाते जाएं. ध्यान रखें कि पानी 5 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं भरना चाहिए. ज्यादा पानी होने पर पानी को खेत से निकाल देना चाहिए. इसके लिए पानी के निकलने का सही इंतजाम होना चाहिए, क्योंकि अधिक पानी भर जाने से पौधे अधिक लंबे व कमजोर हो जाते हैं. ऐसे पौधे रोपाई के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं.

धान की नर्सरी की देखरेख 

डॉ राजीव कुमार सिंह ने कहा कि ,नर्सरी में पौधे नाइट्रोजन की कमी के कारण पीले दिखाई दें तो 3 किलों यूरिया प्रति वर्ग मीटर की दर से नर्सरी में दें.रोपाई में देरी होने की संभावना हो तो नर्सरी में नाइट्रोजन की टाप ड्रेसिंग न करें . जरूरत होने पर पौध संरक्षण दवाओं का छिड़काव करें.अगर नर्सरी में सल्फर या जिंक की कमी दिखाई दे तो सही मात्रा के अनुसार उपचार करें.नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के लिए 1 से 2 बार जरूरत के मुताबिक खरपतवारों को हाथ से भी उखाड़ें. इसके बाद नाइट्रोजन का इस्तेमाल करें. धान की नर्सरी लगाने के 3 से 4 हफ्ते बाद पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है. रोपाई के लिए पौध को क्यारियों से उखाड़ने से 5 से 6 दिन पहले 3 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति 300 वर्ग मीटर नर्सरी के हिसाब से देते हैं ताकि स्वस्थ पौध मिल सकें.

ये भी पढ़ें- Kharif Special: केमिकल खाद की जगह बायोफर्टिलाइजर का प्रयोग करें क‍िसान, बढ़ेगा मुनाफा