हमारे आस पास और बाजारों में तरह-तरह की ताजा और हरी सब्जियां मिलती हैं. इन्हीं सब्जियों में से एक है ककोड़ा. इस सब्जी की कीमत बाजारों में 200 रुपये किलो है. वहीं इसका पौधा 6 महीने तक उपज देता है. यह सब्जी कद्दूवर्गीय श्रेणी की है. आम भाषा में ककोड़ा को कई नामों से जाना जाता है. इसे ककोरा, कंटोला, वन करेला, खेखसा, मीठा करेला आदि नामों से जाना जाता है. इसका फल छोटे करेले से मिलता-जुलता लगता है, लेकिन यह करेले जैसा कड़वा नहीं होता है.
इस पर छोटे-छोटे कांटेदार रेशे होते हैं. यह सब्जी विशेषकर जंगली क्षेत्रों में देखी जा सकती है क्योंकि उसकी कोई व्यावसायिक किस्म, घरेलू खेती के लिए उपलब्ध नहीं होती है. पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर यह सब्जी बारिश के दिनों में ज्यादा पाई जाती है.
कंकोड़ा सब्जी को सबसे अधिक राजस्थान, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में उगाया जाता है. इन राज्यों के ज्यादातर किसान इस सब्जी को आमतौर पर केवल खुद के उपयोग के लिए घरों में उगाते हैं. वहीं कुछ किसान इसे जंगलों से एकत्रित करके बाजारों में बेचते हैं. चूंकि यह मौसमी सब्जी होती है, इसलिए यह बाजार में कभी कभार दिखाई देती है. साथ ही इस सब्जी की कीमत लगभग 200 रुपये प्रति किलो होती है.
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बात करें इस सब्जी की खेती की तो मॉनसून की शुरुआत से ही इसके पौधे अंकुरित होने शुरू हो जाते हैं और अगस्त से जनवरी तक इसमें फल लगने लगते हैं. इसके फल बहुत छोटे होते हैं. यानी फल का वजन 20 से 30 ग्राम होता है और इसकी उपज बहुत कम यानी 2 से 3 किलो प्रति पौधा होती है. वर्तमान में इसकी खेती पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर पूर्वी राज्यों में की जाती है. यह जनवरी-फरवरी में अंकुरित होता है और लगभग 6 महीने (अप्रैल-अगस्त) तक फल देता है.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के एक ऐसे ही किसान हैं मिलिंद कुलकर्णी जो ककोड़ा की खेती करके बहुत लाभ कमा रहे हैं. वे दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. उन्होंने अपने 0.17 एकड़ के क्षेत्र में 300 पौधे लगाए थे जिससे उन्होंने लगभग 1.5 टन फलों की तुड़ाई की और औरंगाबाद शहर में ग्राहकों को सीधे बेच दिया. इस सब्जी की उच्च मांग के कारण औसत बाजार मूल्य 150 से 200 रुपये प्रति किलो तक बिक्री हो जाती है.
इसके अलावा कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ के किसान गुरुप्रसाद एम. भट्ट ने ककोड़ा के 850 पौधे उगाए हैं. उन्होंने लगभग 4000 किलो फलों की कटाई की है जिसको उन्होंने बाजार में 80-150 प्रति किलो की दर से बेचा है. फलों को बेचने के अलावा, उन्होंने ककोड़ा का अचार बनाकर भी बेचा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है.
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