ओडिशा की पुरानी चावल किस्‍म से तैयार हुई नई वैरायटी, बाढ़ तक झेलने में सक्षम और स्वाद में दमदार

ओडिशा की पुरानी चावल किस्‍म से तैयार हुई नई वैरायटी, बाढ़ तक झेलने में सक्षम और स्वाद में दमदार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अगस्‍त यानी रविवार को चावल की तीन किस्‍मों को राष्‍ट्र को समर्पित किया है. इस खबर से जहां ओडिशा के वैज्ञानिक उत्‍साहित हैं तो देश के दूसरे वैज्ञानिकों में भी उम्‍मीदों की एक किरण जगी है. फसलों की जिन 109 जलवायु प्रतिरोधक किस्‍मों को पीएम मोदी ने देश को समर्पित किया है उनमें चावल की एक किस्‍म गायत्री सब1 या सीआर धान 180, को बाढ़ सहनशीलता गुणवत्‍ता के साथ डेवलप किया गया है.

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ओडिशा की पुरानी चावल किस्‍म से तैयार हुई नई वैरायटी, बाढ़ तक झेलने में सक्षम और स्वाद में दमदारओडिशा में तैयार चावल की नई किस्‍मों ने दी वैज्ञानिकों को नई उम्‍मीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अगस्‍त यानी रविवार को चावल की तीन किस्‍मों को राष्‍ट्र को समर्पित किया है. इस खबर से जहां ओडिशा के वैज्ञानिक उत्‍साहित हैं तो देश के दूसरे वैज्ञानिकों में भी उम्‍मीदों की एक किरण जगी है. फसलों की जिन 109 जलवायु प्रतिरोधक किस्‍मों को पीएम मोदी ने देश को समर्पित किया है उनमें चावल की एक किस्‍म गायत्री सब1 या सीआर धान 180, को बाढ़ सहनशीलता गुणवत्‍ता के साथ डेवलप किया गया है. चावल यह किस्‍म बाढ़ को भी झेल सकती है. इस किस्‍ मो वैज्ञानिकों ने चावल की पारंपरिक किस्‍म ढाला पुटिया के जीन से तैयार किया है जिसकी खेती अब नहीं होती है. 

जर्मप्‍लाजमा को किया गया प्रिजर्व 

ओडिशा स्थित नेशनल राइस रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (एनआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने चावल की तीन किस्‍मों को डेवलप किया है जिसे पीएम मोदी ने देश को सौंपा है. गायत्री सब1 चावल की वह किस्‍म है जिसकी अवधि 155 से 160 दिन तक है. अखबार बिजनेस लाइन ने एक पूर्व कृषि वैज्ञानिक के हवाले से लिखा है, 'भारत की पारंपरिक चावल किस्मों की पहचान करने के लिए जरूरी फंड के साथ एक स्‍पेशल प्रोजेक्‍ट बेस्‍ड रिसर्च की जरूरत है जो अब खेती में नहीं हैं. लेकिन उनके जर्मप्लाज्मा को प्रिजर्व किया गया है. अगर उन किस्मों पर रिसर्च किया जा सकता है तो भारत दुनिया में सबसे ज्‍यादा प्रोडक्टिविटी सबसे अच्छे जलवायु-अनुकूल चावल के पौधे दुनिया को दे सकता है.'  

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कई किस्‍मों में महत्‍वपूर्ण लक्षण 

इन वैज्ञानिक का कहना है कि इनमें से कई किस्मों में महत्वपूर्ण लक्षण हो सकते हैं जिन्हें मैप्‍ड और मॉलिक्‍यूलर मार्करों के प्रयोग से मैप किया जा सकता है. इन तरह से जरूरी जीन को चावल की नई सपोर्टिंग वैराइटीज में शामिल किया जा सकता है ताकि सबसे अच्छी किस्म प्राप्त हो सके. नेशनल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्‍चर रिसर्च (ICAR)में एडीशनल डायरेक्‍टर जनरल एसके प्रधान ने कहा कि चावल की इस किस्‍म को रिलीज करने से पहले 3-4 साल पहले तक इस पर ट्रायल्‍स हो रहे थे.  

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बाढ़ के लिए सहनशील किस्‍म 

प्रधान उस टीम को लीड कर रहे थे जिसने सीआर धान 810 को डेवलप किया है. उन्‍होंने आगे कहा, 'गायत्री चावल की एक लोकप्रिय किस्म है जो मुख्य तौर पर तटीय ओडिशा में उगाई जाती है. यह पहले बाढ़ को सहन नहीं कर पाती थी और 150 दिनों के बाद दौरान कभी भी बाढ़ आने पर किसानों को नुकसान उठाना पड़ता था. इसलिए इसे बाढ़ के लिए सहनशील बनाने के लिए गायत्री सब 1 (सीआर धान 810) डेवलप की गई है.'  

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कितने दिन में कितनी उपज 

चावल की यह किस्‍म सामान्य स्थिति में 6 टन प्रति हेक्टेयर की फसल तक दे सकती है. इस बारे में उन्‍होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि नवंबर के पहले हफ्ते के आसपास फूल आने के बाद फसल एक तय समय पर मैच्‍यौर होगी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसे कितने दिन की देरी से रोपा गया है. इसलिए अगर 155-160 दिनों की अवधि सामान्य फसल देगी तो 140 दिनों में पकने पर इसकी उत्पादकता कम होगी. गायत्री सब1 के अलावा पीएम मोदी ने 11 अगस्‍त को सीआर धान 416 और सीआर धान 108 दो और किस्‍मों को रिलीज किया है. 

 

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