हिमाचल प्रदेश में मॉनसून आने के बाद भी अभी तक बहुत कम बारिश हुई है. इससे सिंचाई के अभाव में खरीफ फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में राज्य सरकार ने कृषि विभाग से बारिश के अभाव में फसलों पर हुए प्रभाव और नुकसान की रिपोर्ट मांगी है. कहा जा रहा है कि इस मॉनसून सीजन में बारिश में भारी गिरावट आई है. अभी तक प्रदेश में माइनस 41 फीसदी ही बरसात हुई है. जबकि, पिछले 10 दिनों में इसका आंकड़ा माइनस 75 फीसदी तक पहुंच गया है. इसके कारण धान की बुवाई में देरी हुई है और सिंचाई के अभाव में मक्के की वृद्धि धीमी हो गई है. वहीं, सेब के बाग में भी बीमारी लगनी शुरू हो गई है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कम बारिश के कारण ऊपरी शिमला क्षेत्र में सेब के पौधों में व्यापक रूप से पर्ण रोग (पत्ता रोग) का हमला हुआ है. कृषि सचिव ने कहा कि कम बारिश के कारण कुछ इलाकों में धान की बुवाई में देरी हुई है. हमने बागवानी विभाग से सूखे मौसम की वजह से होने वाले नुकसान और प्रभाव का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण करने को कहा है.
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कृषि विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, अगर अगले सात से 10 दिनों में अच्छी बारिश नहीं हुई तो इन फसलों को काफी नुकसान हो सकता है. मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों में अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश सहित बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है. किसानों को उम्मीद है कि पूर्वानुमान सही साबित होगा और अगले कुछ दिनों में व्यापक रूप से बारिश होगी.
वहीं, सेब उत्पादक किसान भी सेब के बागों पर पत्तियों पर लगने वाले रोग और कीटों के हमले को नियंत्रित करने के लिए अच्छी बारिश की प्रार्थना कर रहे हैं. बारिश की कमी, अधिक तापमान और आर्द्रता ने माइट के अलावा अल्टरनेरिया और अन्य पत्ती धब्बों जैसी पत्तियों पर होने वाली बीमारियों को जन्म दिया है. एक फल वैज्ञानिक ने कहा कि हमें इन बीमारियों के आगे प्रसार को नियंत्रित करने के लिए अच्छी बारिश की आवश्यकता है. वर्तमान मौसम की स्थिति इन बीमारियों के प्रसार में सहायता कर रही है.
वहीं, बीते महीने भी खबर सामने आई थी कि सेब के बागानों में पत्ता रोग या ब्लाइट रोग का प्रकोप बढ़ता पाया गया है. इससे उत्पादन प्रभावित होने का खतरा रहता है. डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के पादप रोग विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने कुछ बागानों का दौरा कर बीमारी के प्रकोप का आकलन किया है. वैज्ञानिकों ने सेब किसानों को फसल को बचाने के लिए सही तरीका और सही दवा इस्तेमाल करने की विधि बताई है. वैज्ञानिकों ने सेब के पत्तों पर बीमारियों की रोकथाम के लिए सेब किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है.
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