हरियाणा के करनाल जिले में शुक्रवार दोपहर को अधिकांश इलाकों में बारिश हुई. इससे जिले में धान की रोपाई में तेजी आ गई है. कृषि उपनिदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि धान रोपाई में तेजी आ गई है. हमें उम्मीद है कि यह 10 जुलाई तक पूरी हो जाएगी. वहीं, सीधी बुवाई वाले धान (डीएसआर) के बारे में बात करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि इस बार जिले में कुल लक्ष्य 30,000 एकड़ रखा गया है. इसमें से करीब 10,000 एकड़ में धान की रोपाई हो चुकी है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. वजीर सिंह ने किसानों को सलाह दी कि वे 10 जुलाई से पहले धान की रोपाई पूरी कर लें, ताकि अच्छी वृद्धि और उपज सुनिश्चित हो सके. स्थानीय किसान जोगिंदर ने कहा कि हालांकि बारिश छिटपुट रही, लेकिन इससे धान की रोपाई में लगे किसानों को राहत मिली है, जो बारिश का इंतजार कर रहे थे. एक अन्य किसान रविंदर ने कहा कि गर्मी के कारण, हमें धान की रोपाई के लिए अपने खेतों की सिंचाई करने में संघर्ष करना पड़ा. बारिश ने तापमान को नीचे ला दिया है, जिससे गर्मी से बहुत राहत मिली है. अब, खेतों की सिंचाई करना आसान हो गया है. हम धान की रोपाई के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.
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वहीं, किसानों का मानना है कि समय पर रोपाई से धान की अच्छी पैदावार होगी. जिले में 4.25 लाख एकड़ में धान की रोपाई की गई है, जिसमें से 60 प्रतिशत गैर-बासमती किस्मों और 40 प्रतिशत बासमती किस्मों के लिए समर्पित है. कृषि विभाग ने रोपाई गतिविधियों में वृद्धि देखी है. अब तक, किसानों द्वारा लगभग 55 प्रतिशत रोपाई पूरी कर ली गई है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आने वाले दिनों में और बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे धान की रोपाई जारी रखने में मदद मिलने की उम्मीद है.
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वहीं, कल खबर सामने आई थी कि हरियाणा में कपास उत्पादक किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उनकी फसल गुलाबी सुंडी और बहुत अधिक गर्मी की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. इसके चलते हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, जींद और भिवानी जिलों के कपास बेल्ट में किसानों को काफी नुकसान हुआ है. कृषि विभाग के अधिकारियों और चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस खरीफ सीजन में भी फसल को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और आसपास के जिलों में राज्य के कुल कपास क्षेत्र का लगभग 70 फीसदी हिस्से में इसकी खेती की जाती है.वैज्ञानिकों का कहा है कि गुलाबी सुंडी के अलावा, तीव्र गर्मी ने भी पौधों को जला दिया, जिससे लगभग 30-40 फीसदी नुकसान हुआ है.
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