एक तरफ पंजाब में एमएसपी पर धान की धीमी खरीद को लेकर हंगामा मचा हुआ है, किसान सड़कों पर हैं तो दूसरी ओर उसके छोटे भाई हरियाणा ने इस मामले में बाजी मार ली है. हरियाणा ने खरीद के मामले में पंजाब को पछाड़ दिया है. सूबे ने अपने टारगेट का 77 फीसदी धान खरीद लिया है, जबकि पंजाब में अभी 36 फीसदी ही खरीद हो पाई है. इसलिए वहां के किसान बेचैन हैं. सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के लिए दोनों राज्यों की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है. ऐसे में दोनों की खरीद पर केंद्र सरकार नजर बनाए हुए है. हरियाणा में 15 तो पंजाब में 30 नवंबर को धान की खरीद बंद हो जाएगी. ऐसे में हरियाणा अपना लक्ष्य आसानी से पूरा करता हुआ दिख रहा है, लेकिन अगर पंजाब में खरीद की यही रफ्तार रही तो उसका लक्ष्य पूरा करना आसान नहीं होगा.
खरीफ मार्केटिंग 2024-25 के दौरान सरकार को धान बेचने के लिए हरियाणा के 4.06 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक 29 अक्टूबर 2024 तक, हरियाणा में 2,75,261 किसानों को 10,529 करोड़ रुपये की रकम एमएसपी के तौर पर जारी कर दी गई है. खरीद के 48 घंटे के भीतर रकम डीबीटी के जरिए किसानों के बैंक खातों में जमा की जा रही है. हरियाणा में 72 घंटे के भीतर एमएसपी के पैसे का भुगतान न होने पर प्रभावित किसानों को ब्याज मिलने का प्रावधान है.
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पंजाब को 185 लाख मीट्रिक टन (LMT) धान खरीदने का टारगेट दिया गया है, जिसमें से उसने 67 लाख टन की खरीद की है. जबकि हरियाणा को 60 लाख मीट्रिक टन (LMT) धान खरीदने का लक्ष्य मिला है और जिसमें से उसने 46 एलएमटी की खरीद पूरी कर ली है. अभी हरियाणा के पास 15 दिन वक्त बचा हुआ है. यानी एक दिन में एक लाख मीट्रिक टन की भी खरीद होगी तो भी उसका लक्ष्य पूरा हो जाएगा.
हरियाणा में निर्धारित समय से पहले 27 सितंबर 2024 को ही एमएसपी पर धान की खरीद शुरू कर दी गई थी. इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र से अनुमति मांगी थी. सितंबर में भारी बारिश और उसके चलते धान में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण कटाई और खरीद में देरी हुई. इसके बावजूद खरीद के ठीक इंतजामों की वजह से यहां पर तेजी से खरीद प्रक्रिया आगे बढ़ी. हरियाणा में 15 नवंबर तक खरीद चलेगी. किसानों को फसल बेचने में मंडियों में प्रवेश के लिए अनावश्यक इंतजार न करना पड़े, इसके लिए राज्य सरकार ने ऑनलाइन गेट पास की सुविधा भी उपलब्ध करवाई है.
सरकार धान खरीद कर मिलिंग के लिए उसे मिल वालों को देती है. भारतीय खाद्य निगम (FCI) चावल को स्टोर करता है. मिल वालों को सरकार एक क्विंटल धान देती है तो उसके बदले उनसे 67 किलो चावल लेती है. उन्हें मिलिंग का पैसा दिया जाता है. ऐसे में हर साल की तरह, मिलिंग कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा चावल मिल मालिकों को काम दिया गया है. कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की डिलीवरी के लिए 1452 मिल मालिकों ने अप्लाई किया है, जिसमें से 1319 मिलर्स को काम आवंटित कर दिया गया है.
जिला | एलएमटी |
कुरुक्षेत्र | 9,66,195 |
करनाल | 8,09,770 |
कैथल | 7,90,245 |
अंबाला | 5,13,324 |
यमुनानगर | 5,12,587 |
फतेहाबाद | 4,89,196 |
जींद | 1,72,051 |
सिरसा | 1,45,232 |
पंचकूला | 76,889 |
केंद्र सरकार हरियाणा में धान की खरीद पर नजर रखे हुए है. केंद्र ने कहा है कि राज्य में हर रोज ओसतन करीब 1.5 एलएमटी धान उठाया जा रहा है, लिहाजा 15 नवंबर 2024 तक बाकी अनुमानित 15 एलएमटी खरीद का लक्ष्य भी बहुत आसानी से पूरा हो जाएगा. उधर, राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक मंडियों में 47.44 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है, जिसमें से 45,76,822 मीट्रिक टन की खरीद की जा चुकी है. सरकार सामान्य धान के लिए 2,300 रुपये प्रति क्विंटल तथा ग्रेड-ए धान के लिए 2,320 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है.
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