दक्षिण कश्मीर में एक बार फिर से मौसम ने किसानों को बड़ा झटका दिया है. रविवार को दक्षिण कश्मीर के शोपियां और पुलवामा जिले के कई गांवों में ओलावृष्टि हुई, जिससे सेब और बाकी फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा है. शाम करीब 5 बजे ओलावृष्टि ने शोपियां जिले के डचनू हीरपोरा, चेकी मिर्जापोरा और चेकी रामनगरी सहित कई ऐसे गांवों पर असर डाला, जहां पर सेब की खेती होती है. प्रभावित क्षेत्रों के किसानों की मानें तो ओलावृष्टि करीब 3 से 5 मिनट तक चली जिससे क्षेत्र में सेब के खेतों को नुकसान पहुंचा.
ग्रेटर कश्मीर ने चाकी मिर्जापोरा के किसान रईस अहमद के हवाले लिखा है कि ओलावृष्टि से फसल को 10 से 12 फीसदी तक नुकसान हुआ है. किसान के अनुसार मटर की साइज के ओले पत्तियों पर गिरे जिससे फलों को बड़ा नुकसान पहुंचा है. एक महीने के अंदर ही इस क्षेत्र में ओलावृष्टि का यह दूसरा दौर है. 18 अप्रैल को जिले के 58 से ज्यादा गांवों में सैकड़ों सेब के बागों में भीषण ओलावृष्टि हुई थी. इससे हजारों सेब के बागों को नुकसान पहुंचा था.
पड़ोसी पुलवामा जिले में ओलावृष्टि ने सेब, आड़ू और नाशपाती के बागों पर कहर बरपाया. सैयदाबाद, गुडपोरा, अरिपाल और आसपास के गांवों के किसानों ने बताया कि इन गांवों में ओलावृष्टि से सेब, आड़ू और नाशपाती के फलों को नुकसान पहुंचा है. किसानों के अनुसार ओलावृष्टि पांच मिनट से अधिक समय तक हुई. सैयदाबाद के किसान जावेद अहमद ने बताया कि नुकसान 15 प्रतिशत तक है.
किसानों की मानें तो अभी असल नुकसान का तुरंत आकलन नहीं किया जा सका है. दोनों प्रभावित गांवों के किसानों ने नुकसान का तुरंत आकलन करने और उचित मुआवजे की मांग की है. बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें ओलावृष्टि की सूचना मिली है. लेकिन नुकसान की सीमा का तुरंत पता नहीं चल पाया है. दूसरी तरफ मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में ओलावृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए बागवानी विभाग के अधिकारियों की टीम ने एक दौरा किया.
प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद उन्होंने परेशान किसानों से बातचीत की. साथ ही क्षतिग्रस्त बागवानों की जांच की और तुरंत सहायता का भरोसा दिलाया. यहां पर किसानों को सलाह दी गई कि वो SKUAST की तरफ से सुझाए गए फफूंदनाशकों का छिड़काव करें. साथ ही बाग की सफाई प्रथाओं का पालन करें. साथ ही किसानों को लगातार मार्गदर्शन के लिए अपने स्थानीय हॉर्टीकल्चर ऑफिसेज के साथ नियमित संपर्क में रहने और बाग और रोग प्रबंधन पर अवेयरनेस कैंपेन में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
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