Mango Export: अमेरिका, अफ्रीका के बाजारों में छाए गुजरात के आम, निर्यात में बनाया नया रिकॉर्ड 

Mango Export: अमेरिका, अफ्रीका के बाजारों में छाए गुजरात के आम, निर्यात में बनाया नया रिकॉर्ड 

Mango Export: राज्य सरकार की तरफ से सक्रिय समर्थन और प्रोत्साहन के चलते गुजरात के आम उत्पादकों ने अकेले साल 2024-25 में 856 मीट्रिक टन से ज्‍यादा आमों का निर्यात किया. इसके अलावा 2019-20 से 2024-25 तक के पांच सालों के दौरान राज्य ने अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका सहित कई अंतरराष्‍ट्रीय बाजारों में 3,000 मीट्रिक टन से ज्‍यादा आमों का निर्यात किया है.

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Mango Export: अमेरिका, अफ्रीका के बाजारों में छाए गुजरात के आम, निर्यात में बनाया नया रिकॉर्ड gujarat mango news: दुनिया पर चढ़ा गुजरात के आमों का बुखार

गुजरात ने लंबे समय से भारत को दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आज, गुजरात के आम खासतौर पर खास सुगंधित और स्वादिष्ट केसर किस्म, न सिर्फ स्थानीय बाजारों पर छाए हुए हैं बल्कि अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर भी अपनी गहरी छाप छोड़ रहे हैं. हाल के कुछ वर्षों में गुजरात ने आम निर्यात में नए स्‍टैंडर्ड स्थापित किए हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार के  उन दूरदर्शी प्रयासों को भी सराहा जा रहा है, जो आम का निर्यात बढ़ाने की दिशा में पिछले कुछ साल में किए गए हैं. 

तेजी से बढ़ रहा है बाजार 

न्‍यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार राज्य सरकार की तरफ से सक्रिय समर्थन और प्रोत्साहन के चलते गुजरात के आम उत्पादकों ने अकेले साल 2024-25 में 856 मीट्रिक टन से ज्‍यादा आमों का निर्यात किया. इसके अलावा 2019-20 से 2024-25 तक के पांच सालों के दौरान राज्य ने अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका सहित कई अंतरराष्‍ट्रीय बाजारों में 3,000 मीट्रिक टन से ज्‍यादा आमों का निर्यात किया है. ये आंकड़े अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बढ़ती मांग और गुजरात के आमों की बेहतर गुणवत्ता की बढ़ती मान्यता को भी साबित करते हैं. 

37 फीसदी हिस्‍से पर खेती 

इस सिलसिले में कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने कहा कि गुजरात के केसर आम की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. आमों की बढ़ती ग्‍लोबल डिमांड को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पूरे गुजरात में आम की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की ऐसी योजनाओं को चलाया है जो इसकी खेती को प्रोत्साहित करने वाली हैं. इन्‍हीं का नतीजा है कि 1.77 लाख हेक्टेयर से ज्‍यादा जमीन जो बागवानी फसलों के तहत गुजरात के कुल 4.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का 37 फीसदी है. यह हिस्‍सा पूरी तरह से आम की खेती के लिए समर्पित है. 

कहां पर होती है कितनी खेती 

कृषि मंत्री के मुताबिक गुजरात की अनुकूल जलवायु और विविध मिट्टी की परिस्थितियां न सिर्फ केवल प्रसिद्ध केसर आम, बल्कि अल्फांसो, राजापुरी, तोतापुरी और सोनपरी जैसी अन्य लोकप्रिय किस्मों के विकास में भी सहायक हैं. कृषि मंत्री ने आगे कहा कि गुजरात में आम की खेती मुख्य तौर पर वलसाड, नवसारी, गिर सोमनाथ, कच्छ और सूरत जिलों में केंद्रित है. साल 2024-25 में, वलसाड में सबसे ज्‍यादा 38,000 हेक्टेयर आम की खेती होती है. उसके बाद नवसारी में 34,800 हेक्टेयर, गिर सोमनाथ में 18,400 हेक्टेयर, कच्छ में 12,000 हेक्टेयर और सूरत में 10,200 हेक्टेयर से ज्‍यादा आम की खेती होती है. 

गुजरात के तलाला गिर का केसर आम अपनी असाधारण गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में पॉपुलर है. आम की इस किस्‍म को जीआई टैग भी मिला हुआ है. कृषि मंत्री की मानें तो गिर के अलावा, कच्छ क्षेत्र में भी केसर आम की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. पिछले पांच सालों में बावला रेडिएशन यूनिट के जरिय से 805 मीट्रिक टन से अधिक आमों का रेडिएशन किया और उन्‍हें एक्‍सपोर्ट किया गया. 

अब मुंबई नहीं भेजनी पड़ती उपज 

अहमदाबाद के करीब बावला में राज्य सरकार की तरफ से गुजरात एग्रीकल्‍चर रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसिलिटी के जरिये से इस साल करीब  224 मीट्रिक टन केसर आमों का रेडिएशन और एक्‍सपोर्ट किया गया. यह सुविधा गुजरात की पहली और देश की चौथी USDA-APHIS सर्टिफाइड यूनिट है. पिछले पांच सालों में इस यूनिट ने रेडिएशन ट्रीटमेंट के जरिये करीब 805 मीट्रिक टन आमों की प्रोसेसिंग की और उन्‍हें एक्‍सपोर्ट किया है. 

गुजरात के किसानों को आम जैसे फलों के निर्यात के लिए गामा रेडिएशन के लिए अपनी उपज मुंबई भेजनी पड़ती थी. इससे अक्सर ट्रांसपोर्टेशन कॉस्‍ट बढ़ जाती थी और कटाई के बाद नुकसान होता था. राज्य सरकार की तरफ से इस यूनिट की स्थापना के साथ, किसान अब अहमदाबाद-बावला में ही स्थानीय स्तर पर गामा रेडिएशन सर्विसेज का फायदा उठा सकते हैं. इस वजह से अब वो अपने उपज का ज्‍यादा बेहतरी से निर्यात कर पाते हैं और उन्‍हें अपनी उपज की अच्‍छी कीमत भी मिल सकेगी. 

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