मूंगफली की खेती प्रमुख तिलहन फसल के रूप में की जाती है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. मूंगफली को गरीबों का काजू भी कहा जाता है क्योंकि मूंगफली के अंदर प्रोटीन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है. मूंगफली का इस्तेमाल खाने में इसको भुनकर, गजक, नमकीन और भी कई तरह के व्यंजन बनाकर किया जाता है. मूंगफली एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग बाज़ार में सालभर रहती है. इसकी खेती गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में सबसे अधिक की जाती है. वहीं उत्तर भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
किसानों को खेती में फायदे हों, इसलिए मूंगफली की कई किस्में विकसित की गई हैं. खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में किसान टमाटर के सही किस्म का चुनाव कर अच्छा उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पा सकते हैं.
मूंगफली की इस किस्म को कम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों की ऊंचाई डेढ़ फीट के आसपास पाई जाती है. इस किस्म के पौधे की पत्तियां गहरी हरी और तना बैंगनी रंग का दिखाई देता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 95 से 100 दिन के आसपास खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसमें प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 22 क्विंटल तक पाया जाता है. इसके दानों में तेल की मात्रा 50 प्रतिशत तक पाई जाती है.
यह उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त किस्मों में से एक है. इसकी फलियों में 72 प्रतिशत तक दाने पाए जाते हैं. प्रति एकड़ जमीन से 10 से 12 क्विंटल फसल की उपज होती है. बुवाई के करीब 115 से 120 दिन बाद फसल की खुदाई की जा सकती है.
खरीफ मौसम में खेती के लिए यह उपयुक्त किस्म है. इसके दाने आकर में बड़े होते हैं. फसल को खुदाई के लिए तैयार होने में करीब 115 से 120 दिन समय लगता है. प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर सात से नौ क्विंटल फसल की उपज होती है.
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मूंगफली की इस किस्म को उत्तर प्रदेश में चित्रा के नाम से भी जाना जाता है. इसको मध्यम समय में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. इनकी पत्तियां हरे रंग की और फूल पीले रंग के होते हैं. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दानों में तेल की मात्रा 48 प्रतिशत के आसपास पाई जाती है.
मूंगफली की इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधे पर गांठें गुच्छे के रूप में पाई जाती हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 115 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल से ज्यादा पाया जाता है.
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