महाराष्ट्र में काला अंगूर पकना शुरू हो गया है. जिसानों ने इसकी तुड़ाई भी शुरू कर दी है. अगले हफ्ते तक महाराष्ट्र से देश-विदेश में अंगूर पहुंच जाएगा. किसानों का कहना है कि इस साल अंगूर की खेती आसान नहीं रही है. क्योंकि इसके बागों पर कीटों का अटैक बढ़ गया. ऐसे में हरे और काले दोनों अंगूर के उत्पादन में कमी देखी जा रही है. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक राज्य है. यहां के नासिक जिले में सबसे ज्यादा अंगूर की खेती की जाती है. जिस तरह से उत्तर भारत में किसान अपने खेतों में गेहूं और धान की खेती करते हैं. उसी तरह से नासिक में किसान अंगूर की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं.
नासिक जिले में अंगूर की खेती करने वाले किसान संजय साठे बताते हैं कि इस साल बदलते मौसम की वजह से काले और हरे अंगूर की खेती पर भारी असर पड़ा है. इसके चलते बाज़ारों में अंगूर की खेप देरी से पहुंच रही है. अंगूर ऐसा फल है जिसे बचाने के लिए ज्यादा स्प्रे करना पड़ता है. इसके बाद भी जब दाम अच्छा नहीं मिलता है तब बहुत निराशा होती है. हालांकि, उत्पादन में गिरावट की चजह से इस साल भाव अच्छा रहने का अनुमान है.
साठे के अनुसार इस समय काले अंगूर की हार्वेस्टिंग की जा रही है. हरे अंगूर की हार्वेस्टिंग भी फरवरी महीने में शुरू की जाएगी. महाराष्ट्र में अंगूर का सबसे ज्यादा उत्पादन किया जाता है. इसकी खेती में राज्य का योगदान कुल उत्पादन का 81.22 फीसदी है. लेकिन मौसम में बदलाव की वजह से पिछले कुछ वर्षों से किसान परेशानी में हैं. इससे लागत बढ़ती जा रही है.
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महाराष्ट्र की मंडियों से अंगूर की खेप दुनिया के कई देशों में भेजी जाती है. नासिक में अंगूर की खेती कर रहे किसान संजय साठे बताते हैं कि इस बार वे अंगूर की खेप दुबई भेज रहे हैं. संजय बताते हैं कि मौजूदा समय में काले अंगूर का भाव 80 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति किलो है और ये अब तक का अच्छा रेट मिल रहा है. लेकिन, साथ ही उत्पादन में गिरावट के कारण यह मुनाफा सभी किसानों को नहीं हो पाएगा. साठे का कहना है कि हरे अंगूर का दाम 30 से लेकर 40 रुपये प्रति किलो रहता है.
अंगूर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि अमूमन अंगूर की तुड़ाई दिसंबर के महीने मे शुरू कर दी जाती है. लेकिन, इस साल अक्टूबर और नवंबर महीने में हुई बेमौसम बारिश के कारण अंगूर के बागों पर असर पड़ा था. इसके चलते किसानों को नुकसान उठना पड़ा है. वहीं इस समय अंगूर के बागों पर कीटों का भी बड़े पैमाने पर प्रकोप देखा जा रहा है. इसी वजह से भी उत्पादन मे भारी गिरावट आने का अनुमान जताया जा रहा है.
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