भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां 75 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. चावल और गेहूं के उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर बन चुका है. अब यह दूसरे देशों को भारी मात्रा में चावल और गेहूं निर्यात करता है. खास बात यह है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा बासमती चावल का निर्यात देश है. लेकिन, इसके बावजूद भी अभी दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बना है. डिमांड को पूरा करने के लिए इंडिया को विदेशों से लाखों टन दलहन का आयात करना पड़ता है. ऐसे में सरकार दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. साथ दलहन की नई- नई किस्मों की बुवाई करने की भी सलाह देती है, ताकि पैदावार को बढ़ाया जा सके.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022-23 में भारत ने 278.10 लाख टन दलहन का उत्पादन किया. इसमें चने की हिस्सेदारी कुल दलहन उत्पादन का लगभग 45 प्रतिशत है. मध्य प्रदेश में सबसे अधिक चने की खेती होती है. यह अकेले 26.9 प्रतिशत चने का प्रोडक्शन करता है. इसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान और आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक का नंबर आता है. साल 2019-20 में इंडिया ने 11.08 मिलियन टन और साल 2020-21 में 11.91 मिलियन टन चने का उत्पादन किया था. हालांकि, अभी चने की बुवाई का सीजन चल रहा है. ऐसे में आज हम काबुली चने की उन किस्मों के बारे में बात करेंगे, जिससे सूखा और कम पानी वाले इलाकों में भी बंपर पैदावार मिलेगी.
ये हैं चने की उन्नत किस्में
पूसा जेजी 16: पूसा जेजी 16 किस्म को आईसीएआर-आएआरआई ने विकसित किया है. वैज्ञानिकों ने इस किस्म को मध्य प्रदेश, दक्षिणी राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात की जलवायु को ध्यान में रखते हुए इजाद किया है. यानी इन राज्यों के किसान अगर पूसा जेजी 16 किस्म की बुवाई करते हैं, तो सिंचाई को लेकर टेंशन लेने की जरूरत नहीं है. क्योंकि यह किस्म कम पानी में बंपर पैदावार देगी. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत है कि सूखा प्रभावित इलाके में भी इसकी उत्पादन क्षमता 1.3 टन प्रति हेक्टेयर से 2 टन प्रति हेक्टेयर है. जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश में किसान सबसे अधिक पूसा जेजी-16 वैरायटी की ही बुवाई करते हैं. यही वजह है कि एमपी देश का सबसे बड़ा चना उत्पादक राज्य है.
फुले 9425-5 किस्म: फुले 9425-5 किस्म बंपर उत्पादन के लिए जानी जाती है. इसे फुले कृषि विश्वविद्यालय राहुरी ने विकसित किया है. अक्टूबर से नवंबर का महीना इसकी बुवाई के लिए बेहतर होता है. यह 90 से 105 दिन में पककर तैयार हो जाती है. फुले 9425-5 की उप्तादन क्षमता 40 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक है.
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जवाहर चना-24: इसी तरह जवाहर चना-24 भी बेहतरीन किस्म है. इस किस्म की खासियत है कि इसके पौधे काफी लंबे होते हैं. ऐसे में इसकी कटाई किसान भाई हार्वेस्टर मशीन से भी कर सकते हैं. ऐसे चने के झाड़ की लंबाई 45 से 50 सेंमी के बीच होती है, लेकिन जवाहर चने के झाड़ 24 से 65 सेंमी लंबे होते हैं. साथ ही यह किस्म 100 से 115 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. वहीं, इसका तना भी मजबूत होता है, ऐसे में तेज आंधी में फसलों की बर्बादी नहीं होती है.
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