दलहन फसलों की भारी कमी और बढ़ते आयात की वजह से घरेलू बाजार में इसका दाम बढ़ रहा है. इसका सीधा असर अब प्रमुख दलहन फसल चने की कीमतों पर दिखाई देने लगा है. अभी फसल खेतों से निकल ही रही है फिर भी महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में इसका दाम एमएसपी से लगभग 2000 रुपये क्विंटल ज्यादा हो गया है. राज्य की अधिकांश मंडियों में इस समय दाम 6000 से 7400 रुपये प्रति क्विंटल तक है, जबकि इस साल के लिए चने का एमएसपी 5440 रुपये क्विंटल है. इसलिए किसानों की बल्ले-बल्ले है. इस बार जिन्होंने चने की खेती की है उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है. चने का सबसे बड़ा उत्पादक मध्य प्रदेश है जबकि दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है.
देश में दलहन फसलों का आयात पिछले साल से काफी बढ़ गया है. दालों के मामले में भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर ज्यादा हो रही है. बड़े पैमाने पर मसूर और तूर दाल का आयात किया गया है. इसलिए चने का उत्पादन करने वाले किसानों को अब फायदा मिल रहा है. चना ही नहीं तूर दाल की खेती करने वालों को भी इस साल बहुत अच्छा दाम मिल रहा है. महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा तूर दाल उत्पादक है.
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बताया जा रहा है कि इस वर्ष चने का रकबा और उत्पादन कम हो गया था इसलिए भी दाम ज्यादा बढ़ गया है. महाराष्ट्र की अधिकांश मंडियों में चने का दाम एमएसपी से ज्यादा चल रहा है. राज्य में प्याज और सोयाबीन का दाम बहुत कम है, लेकिन चने का दाम रिकॉर्ड बना रहा है. अभी तो इसकी फसल खेतों से निकली ही है तब दाम का ये हाल है. आने वाले दिनों में दाम और बढ़ सकते हैं.महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार राज्य की मंडियों में चने की आवक काफी कम हो गई है. बोर्ड के अनुसार 17 अप्रैल को भीवापुर मंडी में सबसे ज्यादा 1400 क्विंटल की आवक हुई थी. दूसरे नम्बर पर वरोरा था जहां 569 क्विंटल की आवक हुई थी. बाकी मंडियों में 2 से लेकर 80 क्विंटल तक की आवक हुई थी. कम आवक भी दाम बढ़ा रहा है.
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