केंद्र सरकार गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट को लेकर जल्द ही बड़ा फैसला ले सकती है. सूत्रों के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों का पैनल इसी सप्ताह गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 500 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) तय करने के प्रस्ताव पर फैसला कर सकती है. हालांकि, सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा कमाने वाले बासमती चावल की एमईपी कम करने के प्रस्ताव को टाला जा सकता है. बासमती चावल का एमईपी इस समय 950 डॉलर प्रति टन है, जिसे कम करने का विचार चल रहा था. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम हो गई हैं.
बहरहाल, सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्रालय ने एक्सपोर्टरों की चिंताओं को समझने के लिए उनके साथ बैठक की थी. इसके बाद मंत्रिस्तरीय कमेटी को विचार करने के लिए कुछ प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया था. हालांकि, उद्योग सूत्रों ने कहा कि उनकी मांग गैर बासमती चावल पर लगे 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को 90 डॉलर प्रति टन पर फिक्स करने की थी. लेकिन सरकार ने 500 डॉलर प्रति टन के संभावित एमईपी पर विचार करने के बाद निर्यात शुल्क 100 डॉलर प्रति टन पर अंतिम रूप दिया है. यह फिक्स निर्यात शुल्क नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से भेजे जाने वाले सफेद चावल और उबले चावल दोनों पर मान्य होगा.
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सूत्रों ने बताया कि बासमती के एमईपी को घटाकर 800-850 डॉलर प्रति टन करने की उद्योग जगत की मांग को फिलहाल सरकार ठंडे बस्ते में डाल सकती है. सरकार ने पिछले साल ही बासमती की एमईपी को 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर किया था. उद्योग जगत की मांग पर इसे और घटाने की चर्चा थी. उद्योग जगत का कहना है कि बासमती की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम हो गई है इसलिए इसकी एमईपी को घटाने की जरूरत है.
हालांकि, बासमती चावल का एक्सपोर्ट करने वाली इंडस्ट्री के दावों से अलग केंद्र ने दाम का अलग आंकड़ा दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल में बासमती चावल का दाम 1,070 डॉलर प्रति टन मिला था, जो मई में थोड़ा बढ़कर 1,080 डॉलर प्रति टन हो गया. दूसरी ओर, गैर-बासमती चावल का औसत निर्यात मूल्य अप्रैल में लगभग 476 डॉलर प्रति टन और मई में 474 डॉलर प्रति टन रहा. बासमती चावल का एक्सपोर्ट भी बढ़ा है. हालांकि गैर-बासमती चावल का निर्यात घट गया है.
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