क्रिसमस और नए साल के आने का इंतज़ार सभी को है. ऐसे में लोग क्रिसमस और नए साल की तैयारी में अभी ही जुट गए हैं. जहां दुनियाभर के कई देशों में क्रिसमस और न्यू ईयर पर भारतीय फूलों की डिमांड रहती है. लेकिन, इस बार आलम कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा है.फ्लोरिकल्चर एक्सपोर्ट पर 18 % जीएसटी ने भारतीय फूलों की विदेशों में महक को कम कर दिया है. इस वजह से फ्लोरिकल्चर एक्सपोर्टर परेशान हैं.
ग्रोअर्स फ्लावर काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्रीकांत बोल्ला ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि हाल के महीनों में 18 फीसदी जीएसटी लगाना फ्लोरिकल्चर एक्सपोर्टर के लिए बड़ा झटका है. उन्होंने बताया कि सरकार ने 1 अक्टूबर 2022 से हवाई माल ढुलाई पर 18 फीसदी जीएसटी छूट खत्म कर दी है.
बोल्ला ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय माल ढुलाई की दरें कोविड के समय से लगभग 200 प्रतिशत बढ़ी हैं और अब जीएसटी लेवी है. साथ ही, एपीडा द्वारा हवाई भाड़े पर दी जाने वाली 40 प्रतिशत की इनपुट सब्सिडी को भी वापस ले लिया गया है. साउथ इंडिया फ्लोरिकल्चर एसोसिएशन (एसआईएफए) के निदेशक बोल्ला ने कहा कि फूलों के उपभोक्ता मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होने से, किसानों के मार्जिन को उच्च माल ढुलाई और जीएसटी से दूर कर दिया गया है.
इवेंट-संचालित फ्लोरिकल्चर सेक्टर के लिए, क्रिसमस/नया साल एक्सपोर्ट के प्रमुख सीजन में से एक है, जबकि वेलेंटाइन डे के दौरान शिपमेंट अपने चरम पर होता है. "यदि कोई भी अंतरराष्ट्रीय खरीदार मूल्य बढ़ाते हैं तो किसान कुछ निर्यात कर सकें अन्यथा फूलों की खेती का अधिकार मुश्किल हो सकता है. अभी बहुत कम निर्यात हो रहे हैं. यदि आप पहले के वर्षों के क्रिसमस/नए साल के मौसम से तुलना करें तो, इस साल की शिपिंग बहुत कम है.
" उन्होंने कहा कि कुछ एक्सपोर्टर, जो बेहतर कीमत पाने में सक्षम हैं, वह फूलों की शिपिंग कर रहे हैं, लेकिन उसकी मात्रा कम है. नतीजतन, निर्माता घरेलू बाजार पर अधिक ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने कहा, शादी का मौसम चल रहा है, जबकि वेलेंटाइन डे के ऑर्डर को लेकर स्पष्टता जनवरी के मध्य तक पता चल जाएगी.
एपीडा के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-अक्टूबर 2022-23 के दौरान सूखे फूलों और कटे हुए फूलों सहित फूलों की खेती का निर्यात एक साल पहले के 60 मिलियन डॉलर से 8 प्रतिशत घटकर 55 मिलियन डॉलर रह गया. रुपये के लिहाज से इस अवधि में निर्यात 433 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 443 करोड़ रुपये से दो फीसदी कम है. हालाँकि, मात्रा के संदर्भ में, अप्रैल-अक्टूबर 2022-23 के दौरान शिपमेंट 1 प्रतिशत बढ़कर 13426 टन हो गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 13,253 टन था.
इसके अलावा, कट फ्लावर उत्पादकों को खराब मौसम के पैटर्न जैसी चुनौतियों के बीच इनपुट लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है. “उर्वरक, कीटनाशक, पॉलिथीन शीट और ग्रीनहाउस जैसे सभी इनपुट की लागत पिछले वर्ष की तुलना में 30-40 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जिससे उत्पादक का बोझ बढ़ गया है. ज्यादा बारिश के कारण भी बहुत नुकसान हुआ है, जबकि कीट प्रबंधन इस साल उत्पादकों के लिए एक समस्या रही है.' यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात भारतीय फूलों की खेती के निर्यात के प्रमुख स्थलों में से हैं.
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