गेहूं-सरसों और बागवानी फसलों के लिए बुरा साबित होगा फरवरी का महीना! IMD ने कही ये बात

गेहूं-सरसों और बागवानी फसलों के लिए बुरा साबित होगा फरवरी का महीना! IMD ने कही ये बात

मौसम विभाग ने फरवरी महीने को लेकर मौसम का पूर्वानुमान जारी कर दिया है, जिसमें कम बारिश और सामान्‍य से ज्‍यादा तापमान के कारण रबी और बागवानी फसलों पर बुरा असर पड़ने की बात कही गई है. फरवरी माह के दौरान यह तय होता है कि फसल अच्‍छी पैदावार देगी या नहीं देगी. ऐसे में मौसम विभाग की भविष्‍यवाणी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.

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गेहूं-सरसों और बागवानी फसलों के लिए बुरा साबित होगा फरवरी का महीना! IMD ने कही ये बातरबी फसल

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने फरवरी महीने के मौसम को लेकर पूर्वानुमान जारी किया है. यह महीना खेती-किसानी के लिहाज से भी काफी अहम है, क्‍याेंकि इस समय रबी सीजन की गेहूं, सरसों समेत कई खड़ी फसलें और उपज देने के लिए तैयार की अवस्‍था में है. वहीं, बागवानी फसलों पर भी इस दौरान मौसम का बड़ा असर देखने को मिलता है. मौसम विभाग ने रबी और बागवानी फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ने की बात कही है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. मौसम विभाग के मुताब‍िक, फरवरी महीने के दौरान पूरे देश में बारिश सामान्य से कम रहने की संभावना है.

कुछ जगहों पर सामान्‍य रहेगी बारिश और तापमान की स्थित‍ि

मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर भारत में पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़ और  दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में मासिक बारिश सामान्य से कम रहने के आसार हैं. तापमान सामान्‍य से अध‍िक रहने की संभावना है. हालांकि, पश्चिम मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से ज्‍यादा बारिश हो सकती है. इन क्षेत्रों में कुछ जगहों पर मासिक न्‍यूनतम तापमान सामन्‍य रहने की भी संभावना है.

इन राज्‍यों में फसलों पर पड़ेगा ज्‍यादा असर

मौसम विभाग ने बताया है कि उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों- पंजाब, हरियाणा-चंडीगढ़-दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम राजस्थान और पूर्वी राजस्थान में सामान्य से कम बारिश और उच्च तापमान के कारण फूलने और दाने भरने की जैसी अवस्था वाली गेहूं की खड़ी फसलों पर बुरा असर पड़ेगा.

वहीं, सरसों और चना जैसी फसलें भी जल्दी पक सकती हैं. इसके अलावा सेब और अन्य शीतोष्ण गुठलीदार फलों जैसी बागवानी फसलों में गर्म तापमान के कारण समय से पहले कली टूट सकती है और जल्दी फूल आ सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फलों का खराब लगना और गुणवत्ता खराब हो सकती है, जो अंततः खराब उपज में परिलक्षित हो सकती है.

प्रतिकूल प्रभाव को कम करने और फसल की वृद्धि को बनाए रखने के लिए बीच-बीच में हल्की सिंचाई की जरूरत होगी. हालांकि, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सामान्य से कम अधिकतम तापमान की उम्मीद के कारण, खेतों की फसलों पर शीत लहर का प्रतिकूल प्रभाव सीमित रहेगा.

कमजोर ला नीना के कारण गर्मी का असर

मौसम विभाग के मुताबिक, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति कमजोर बनी हुई हैं, जो अप्रैल 2025 तक ऐसे ही रहने की उम्‍मीद है. मालूम हो कि कमजोर ला नीना स्‍थ‍ितियों की वजह से इस बार भारत में ज्‍यादा ठंड नहीं पड़ी और शीतलहर के दिन भी कम हो गए. आईएमडी ने सि‍तंबर में ही इसे लेकर आगाह किया था.

यही वजह रही कि नवंबर मध्‍य तक देशभर में लोगों को गर्म मौसम का सामना करना पड़ा. वहीं, अब फरवरी में देश के अधिकांश हिस्सों में शीत लहर वाले दिन सामान्य सीमा के अंदर रहने की संभावना है. हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम शीत लहर वाले दिन रहने की संभावना है.

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