इस बार गेहूं की बंपर पैदावार हुई है. बेमौमस बारिश और ओलावृष्टि जैसी तमाम चुनौतियों के बीच गेहूं का रिकॉर्डतोड़ उत्पादन देखा जा रहा है. इसी हिसाब से मंडियों और बाजारों में गेहूं की आवक भी तेज बनी हुई है. कहीं-कहीं से ऐसी खबरें हैं कि किसानों को सरकारी मंडियों से अधिक रेट प्राइवेट बाजारों में मिल रहे हैं, इसलिए वे अधिक दाम पर अपनी उपज बेच रहे हैं. इसके बावजूद फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) और सरकारी एजेंसियों ने गेहूं खरीद में बड़ा रिकॉर्ड कायम किया है. अब तक एफसीआई और एजेंसियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 240 लाख टन गेहूं की खरीद पूरी कर ली है. उम्मीद है कि सरकारी खरीद का यह आंकड़ा 300 लाख टन तक जा सकता है.
एक तरफ सरकार एमएसपी पर तेजी से खरीद कर रही है तो दूसरी ओर गेहूं निर्यात पर लगे बैन को कायम रखने का फैसला किया है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि देसी बाजारों में गेहूं और आटे का भाव तेजी से न बढ़े. हालांकि अभी भी गेहूं की खुदरा महंगाई दोहरे अंक में बनी हुई है जिसे लगातार कम करने का प्रयास किया जा रहा है. भाव में कमी तभी आ पाएगी जब सरकार अधिक से अधिक गेहूं खरीदेगी और अपनी स्कीमों के तहत बाजारों में उतरेगी. अभी तक गेहूं की जितनी खरीद एमएसपी पर हो चुकी है, वह देश की जरूरतों के लिए पर्याप्त है. लेकिन सरकार इसे आगे भी जारी रखेगी.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल गेहूं की जितनी सरकारी खरीद हो पाई है, वह देश की जरूरत और ओपन मार्केट सेल के लिए उपयुक्त है. सरकार इसलिए भी अधिक गेहूं खरीद रही है क्योंकि उसे ओपन मार्कट सेल में गेहूं उतारना है. जुलाई से हर तिमाही गेहूं को बाजार में बिक्री के लिए उतारा जाएगा ताकि दाम पर नियंत्रण रखा जा सके.
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एक मई तक का आंकड़ा बताता है कि एफसीआई के पास 285 लाख टन गेहूं का स्टॉक है जबकि उसे सालाना तौर पर 184 लाख टन गेहूं की जरूरत होती है. गेहूं की इसी मात्रा को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा स्कीम या पीएम गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत आम लोगों में बांटा जाता है. इस स्कीम और ओपन मार्केट सेल का ही नतीजा है कि मार्च की तुलना में गेहूं की महंगाई लगभग छह प्रतिशत तक नीचे आई है.
फरवरी में गेहूं की खुदरा महंगाई जहां 25 फीसद से अधिक थी, वह मार्च में घटकर 19 फीसद के आसपास आ गई. हालांकि सरकार और आम लोगों के लिए यह दर अब भी चिंता का सबब बनी हुई है क्योंकि यह दोहरे अंक में चल रही है. अगले साल लोकसभा चुनाव है जिसका माहौल अभी से बनने लगा है. ऐसे में अगर चुनाव के पहले गेहूं के दाम और बढ़ते हैं या उसमें बड़ी गिरावट नहीं आती है, तो महंगाई का यह मुद्दा बड़ा बन सकता है. तभी दाम पर अंकुश लगाने के लिए सरकार सभी विकल्पों पर गौर कर रही है. इसमें एक विकल्प स्टॉक लिमिट लगाने का भी है जिससे कि गेहूं की कालाबाजारी रोकी जा सकेगी.
इस बीच पंजाब से एक बड़ी खबर आई है कि वहां एफसीआई ने गेहूं खरीद के लिए जो लक्ष्य तय किया था, उससे अधिक खरीद पूरी कर ली गई है. एफसीआई ने खरीद का जो लक्ष्य दिया था, पंजाब ने उसका 91 फीसद हिस्सा प्राप्त कर लिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में एफसीआई ने 132 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की योजना बनाई थी जिसमें से 120 लाख मीट्रिक टन खरीद पूरी हो चुकी है.
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पिछले दो महीनों में जिस तरह का खराब मौसम देखा गया, उससे आशंका बढ़ी थी कि गेहूं की पैदावार गिरेगी. कई जगहों पर खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हुई हैं. यहां तक कि मंडियों ने भी भीगे गेहूं लेने से मना कर दिया. इसके बावजूद गेहूं खरीद के लक्ष्य में कोई बड़ा अंतर नहीं दिख रहा है. ऐसी जानकारी है कि खरीद का लक्ष्य पूरा हो जाएगा या कमी होगी भी तो मामूली अंतर से. गेहूं खरीद में कोई बहुत बड़ी कमी दिखने की संभावना नहीं है.
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