केला आप दर्जन में खरीदते हैं लेकिन किसान इसे थोक में क्विंटल के भाव पर बेचते हैं. यानी इसका थोक कारोबार वजन के हिसाब से होता है. यहीं से किसानों के साथ लूट शुरू हो जाती है. वजन घटने के नाम पर उनसे दाम में तीन फीसदी की कटौती की जाती है. जलगांव के कई क्षेत्रों में ऐसा हो रहा है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. जलगांव देश का सबसे मशहूर केला उत्पादक क्षेत्र है जहां पर इन दिनों इसकी मांग बढ़ी हुई है, लेकिन मांग की तुलना में आपूर्ति कम है. आरोप है कि आपूर्ति कम रहने के बावजूद खानदेश में किसानों को घोषित दरों से 100 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम देकर ठगा जा रहा है. इसमें प्रति क्विंटल तीन प्रतिशत कटौती हो रही है.
किसानों के नेता कह रहे हैं कि केला व्यापारी किसानों से खरीदे जाने वाले केले के दाम पर 3 प्रतिशत की छूट न लें और किसान यह छूट न दें. रावेर, यावल, चोपड़ा और अन्य बाजार समितियों के निदेशक मंडल ने अक्सर ऐसा पाए जाने पर व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्णय की घोषणा की है. केले खरीदते समय, खरीदार प्रति क्विंटल केले पर तीन प्रतिशत वजन घटाने का भुगतान करते हैं. इसे तीन प्रतिशत छूट भी कहा जाता है. सौ रुपये की बजाय 97 रुपये का भुगतान.
जलगांव जिले में जलगांव, पचोरा, भडगांव, चोपड़ा, यावल, रावेर, जामनेर, मुक्ताईनगर, धुले में शिरपुर, शहादा, तलोदा और नंदुरबार के अक्कलकुवा में भी कम दरों का भुगतान और दरों में कटौती जारी है. छूट बंद करने का निर्णय बाजार समिति पहले ही ले चुकी है. लेकिन इसका क्रियान्वयन कभी नहीं देखा गया. इससे किसानों को नुकसान हो रहा है. लेकिन खरीद करने वालों के अपने तर्क हैं. दरअसल, केले की फली के साथ एक तना होता है. यह कभी एक से डेढ़ किलो की होती है तो कभी दो किलो की. खरीदार यह मुद्दा उठाते हैं कि यह कटौती इसी वजह से की गई है.
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