अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर ने बताया भारत में कपास की खेती के रकबे में वर्ष 2025/26 में गिरावट दर्ज की जा सकती है, क्योंकि किसानों का रुख दलहन और तिलहन जैसी फसलों की तरफ मुड़ गया है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, कपास की कीमतों में वैश्विक गिरावट और कीटों के बढ़ते हमलों के कारण किसान अधिक लाभ मिलने वाली फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
उदाहरण के लिए, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में किसान मूंगफली, तूर दाल और मक्का जैसी फसलों की बुवाई को प्राथमिकता दे रहे हैं. कपास संघ के अनुसार, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में कपास की बुवाई में 40-60 फीसदी तक की कमी आई है.
इसके अलावा, सरकार ने दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए छह वर्षीय कार्यक्रम की घोषणा की है, जिसमें राज्य के एजेंसियों की ओर से किसानों से निश्चित दर पर फसल खरीदने की योजना शामिल है. इसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना है. भारत ने 2024 में दालों के आयात पर रिकॉर्ड 5 बिलियन खर्च किए थे.
इन परिवर्तनों को देखते हुए, 2024-25 में कपास उत्पादन में 7 फीसदी की गिरावट होकर 302.25 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि पिछले वर्ष यह 325.29 लाख गांठ था. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों का यह रुझान उनकी आय बढ़ाने और फसल विविधीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
शंकर ठक्कर ने आगे कहा कपास की फसल कम होने से कपास तेल यानी कि बिनोला का उत्पादन भी कम होगा, जिसके चलते भारत को तेल का आयात अधिक करना पड़ेगा यानी सरकार एक फसल को बढ़ावा देती है तो दूसरी फसल पर उसका असर होता है. इसलिए सरकार को अपनी रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता है.
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इसके अलावा शंकर ठक्कर ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता दोबारा संभालने के बाद कई देशों को टैरिफ बढ़ाने की बात कही है, जिसके चलते बाजारों में घबराहट का माहौल बना हुआ है. दूसरी तरफ मार्च में भारत का पाम तेल का आयात पिछले महीने के मुकाबले मामूली है, लेकिन लगातार चौथे महीने सामान्य स्तर से नीचे रहा, क्योंकि सोया तेल की तुलना में इसके प्रीमियम ने रिफाइनरों को सोया तेल की खरीद बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है.
दुनिया में वनस्पति तेलों के सबसे बड़े खरीदार भारत ने सामान्य से कम पाम तेल आयात के कारण मलेशियाई पाम तेल की कीमतों पर दबाव पड़ सकता है. वहीं, अमेरिकी सोया तेल वायदा को समर्थन मिल सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार मार्च में पाम ऑयल का आयात महीने-दर-महीने 13.2 फीसदी बढ़कर 423,000 मीट्रिक टन हो गया. मार्च की शुरुआत में, निर्यातकों को उम्मीद थी कि इस महीने भारत का आयात 500,000 टन से अधिक हो जाएगा. भारत ने अक्टूबर 2024 में समाप्त होने वाले खरीद वर्ष के दौरान हर महीने औसतन 750,000 टन से अधिक पाम ऑयल का आयात किया गया है.
शंकर ठक्कर ने आगे कहा, "पिछले कुछ महीनों से पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल की तुलना में अधिक महंगा हो गया है, और इससे उसकी मांग कम हो रही है. "मार्च में सोया तेल का आयात महीने-दर-महीने 24 फीसदी बढ़कर 352,000 टन हो गया, जबकि सूरजमुखी तेल का आयात 15.5 फीसदी घटकर 193,000 मीट्रिक टन रह गया, जो छह महीने में सबसे कम है. बता दें कि भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल खरीदता है, जबकि अर्जेंटीना, ब्राजील सोया तेल और रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात करता है.
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