अधिक पैदावार और बेहतर दाम के लिए अप्रैल में क्या करें किसान? कृषि विशेषज्ञ का पढ़ें जवाब 

अधिक पैदावार और बेहतर दाम के लिए अप्रैल में क्या करें किसान? कृषि विशेषज्ञ का पढ़ें जवाब 

अप्रैल का महीना खेती के लिए बहुत अहम होता है, क्योंकि इस समय रबी की फसलें कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं और जायद की फसलें बोई जाती हैं. अप्रैल में खेती से जुड़े कुछ अहम सुझाव कृषि विशेषज्ञ ने दिए हैं, जिन पर ध्यान देकर किसान अच्छी पैदावार और बेहतर दाम पा सकते हैं.

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अधिक पैदावार और बेहतर दाम के लिए अप्रैल में क्या करें किसान? कृषि विशेषज्ञ का पढ़ें जवाब सूरजमुखी की खेती से किसानों को फायदा

अप्रैल में बदलते मौसम के कारण लोग अधिक सक्रिय हो जाते हैं. खेती के मोर्चे पर भी यह एक व्यस्त समय होता है क्योंकि इस महीने रबी मौसम की तमाम फसलों की कटाई शुरू हो जाती है, जबकि जायद की फसलें खेतों में लहलहाती नजर आती हैं. ऐसे में रबी की खड़ी फसल की कटाई और जायद की खड़ी फसल के लिए कुछ विशेष प्रबंधन करना जरूरी होता है. कृषि विज्ञान केंद्र, अयोध्या के प्रमुख बीपी शाही ने किसानों को सुझाव दिया कि वे अप्रैल में सबसे पहले रबी फसल की कटाई से शुरुआत करें.

गेहूं की कटाई और भंडारण

गेहूं की फसल अप्रैल तक पककर तैयार हो जाती है, इसलिए इस महीने का मुख्य कार्य गेहूं की कटाई करना होता है. कटाई के बाद गेहूं को अच्छी तरह सुखाकर उसकी गहाई करें. यदि भंडारण करना हो, तो उन्नत भंडारण तकनीकों का उपयोग करें. गेहूं की कटाई का सही समय तब होता है जब दानों में 15-20% नमी हो और पौधे पीले या सुनहरे रंग के हो जाएं. कटाई के बाद भंडारण से पहले गेहूं को अच्छी तरह सुखाकर, साफ करके और कीटों से सुरक्षित रखना जरूरी है.

जायद मक्के की फसल में ये करें कार्य

कटाई के बाद अब खड़ी फसलों में किए जाने वाले प्रबंधनों की बात करें तो जायद मक्के की अच्छी पैदावार के लिए समय पर खरपतवार नियंत्रण बेहद जरूरी है. अन्यथा उपज में 50 फीसदी तक की कमी हो सकती है. बुआई के बााद 30 दिनों तक खेत को खरपतवार-मुक्त रखना जरूरी है. खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली निराई खुरपी से बुआई के 15 दिन बाद करनी चाहिए और इसे हर 15 दिनों के अंतराल पर दोहराना चाहिए.

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बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना जरूरी है. विशेष रूप से, पौधों में फुटाव (टिलरिंग), बालियां निकलने और दाना बनने के समय नमी की कमी नहीं होनी चाहिए. बालियां निकलते समय खेत में नमी बनाए रखना सबसे अहम होता है. इसलिए 8-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए.

गन्ने की फसल में जरूरी प्रबंधन

अप्रैल में आमतौर पर बारिश की संभावना नहीं रहती, जिससे खेत सूखने लगते हैं. ऐसी स्थिति में गन्ने की फसल को जरूरत के अनुसार सिंचाई करें. सिंचाई के बाद जब खेत सूख जाएं, तो निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार को बढ़ने से रोकें.

सूरजमुखी की फसल में जरूरी कार्य

अप्रैल तक सूरजमुखी के पौधों में फूल आने लगते हैं. ऐसे में खेत की निराई-गुड़ाई करना आवश्यक होता है. खेत की नमी की जांच करें और अगर नमी कम हो तो सिंचाई करें. आवश्यकतानुसार, विशेषज्ञों की सलाह लेकर यूरिया खाद का छिड़काव करें.

बैसाखी मूंग लगाने का सही समय

बैसाखी मौसम में मूंग बोने के लिए यह उपयुक्त समय होता है. यदि मूंग बोनी हो, तो 20 अप्रैल तक इसकी बुआई पूरी कर लें. जो मूंग मार्च में बोई गई थी, उस फसल का निरीक्षण करें. मार्च में लगाई गई मूंग की फसल को अप्रैल में सिंचाई की आवश्यकता होती है. यदि खेत सूखे दिखें, तो तुरंत सिंचाई करें.

हरे चारे वाली फसलों की बुआई करें

दुधारू पशुओं के लिए चारे के उत्पादन की दृष्टि से अप्रैल एक अहम  महीना है. इस महीने में मक्का, लोबिया और बाजरा बोना लाभकारी होता है, ताकि मई-जून में चारे की कमी न हो. फरवरी में बोई गई चारे की फसलों में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया खाद डालें और खेत में नमी बनाए रखें.

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कद्दूवर्गीय और अरबी फसलों की बुआई

अप्रैल के पहले सप्ताह में तोरई की नर्सरी जरूर डालें, ताकि समय पर पौध तैयार हो सके. फरवरी-मार्च में तैयार की गई नर्सरी के पौधों की रोपाई कर दें. रोपाई के बाद सिंचाई अवश्य करें. जनवरी-फरवरी में नर्सरी में तैयार किए गए करेले और लौकी के पौधों की इस समय रोपाई करें. अगर आप अरबी की खेती करना चाहते हैं, तो अप्रैल में इसकी अगेती किस्मों की बुआई कर लें. अगर आप अप्रैल में खेती से संबंधित इन सभी कार्यों को पूरा कर लेते हैं, तो आगे चलकर उच्च गुणवत्ता वाली बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं.

 

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