रतालू जड़ प्रकार की सब्जी है, जिसे जमीन के नीचे से खोदकर निकाला जाता है. यह सब्जी अपने पोषक गुणों के लिए जानी जाती है जैसे प्रोटीन, विटामिन और खनिज उचित मात्रा में मौजूद होते हैं. अधिकांश किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर अच्छा मुनाफा देने वाली खेती की ओर रुख कर रहे हैं और उन्नत खेती की ओर ध्यान दे रहे हैं जिस वजह से उनकी स्थिति में काफी सुधार हुआ है.
यदि आप भी ऐसे ही उन्नत किस्म की खेती करना चाहते हैं, तो रतालू की खेती अच्छा विकल्प हो सकता है. आइए जानते हैं रतालू की खेती किस तरह से की जाती है साथ ही यह भी जानेंगे कि इसकी खेती कितना मुनाफा देगी.
रतालू की खेती करने के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती अप्रैल से जून माह के बीच की जाती है. सबसे पहले खेत की अच्छी गहरी जुताई करें.1 हेक्टेयर के खेत में खेती करने के लिए करीब 200 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद, 100 किलो पोटाश और 60 किलो फास्फोरस डालें. उसके बाद लगभग 50 सेमी दूरी का ध्यान रखते हुए खेत में क्यारियां बनाई जाती हैं. इन क्यारियों में 30-30 सेमी की दूरी में रतालू के बीज लगाएं. 1 हेक्टेयर के खेत में 20- 30 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है.
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वहीं खेत के सिंचाई की बात करें तो बुआई के तुरंत बाद ही सिंचाई की आवश्यकता होती है उसके बाद खेत की नमी को ध्यान में रखते हुए 10- 15 दिनों के अंतराल में खेत की सिंचाई करते रहें. इसके अलावा खेत में अनावश्यक रूप से उगने वाले घास फूस और खरपतवार की भी सफाई करते रहें. लगभग 8 से 9 महीने में रतालू की फसल तैयार हो जाती है.
रतालू की खेती करना किसानों के लिए फायदे का सौदा है. रतालू फसल बुआई के लगभग 8- 9 माह में तैयार हो जाती है. रतालू एक जड़ प्रजाति की फसल है इसलिए इसके प्रत्येक पौधे को खोदकर निकाला जाता है. एक हेक्टेयर के खेत में खेती करने के लिए खेत की तैयारी, बीज, खाद- पानी और उसकी कटाई को मिलाकर 70 हजार से 1 लाख तक का खर्च आ सकता है. वहीं उपज की बात करें तो हेक्टेयर के खेत से 300- 400 क्विंटल तक की पैदावार संभव है.
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