इस बार गेहूं की खपत ज्यादा होने की वजह से इसकी कीमतों भी में इजाफा हो सकता है. बताया जा रहा है कि गेहूं की आपूर्ति में इस बार थोड़ी सख्ती हो सकती है. यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब कहा जा रहा है कि देश में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड तोड़ सकता है. गेहूं की कीमतें बढ़ने का सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ने वाला है और माना जा रहा है कि महंगाई में भी थोड़ा इजाफा हो सकता है.
अखबार हिंदू बिजनेसलाइन ने फिच सोल्यूशंस की यूनिट बीएमआई हवाले से बताया है कि अनुमान के अनुसार इस बार गेहूं की कीमतें वर्तमान स्तर से ज्यादा हो सकती हैं और इसकी वजह सप्लाई का सख्त होना है. इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल (आईजीसी) ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर गेहूं के स्टॉक 2025-26 में गिरावट आ सकती है क्योंकि निर्यातकों की तरफ से सख्ती जारी रहेगी. इसी वजह से एशिया के कुछ देशों में इसके स्तर में गिरावट हो सकती है.
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आईजीसी ने अपने नए अनुमान में कहा है कि बचे हुए स्टॉक में भी 259 मिलियन टन की कमी आने की आशंका है. साल 2024-25 में स्टॉक का 264 मिलियन टन था. यह स्थिति तब है जब गेहूं का उत्पादन 807 मिलियन टन रहने की संभावनाएं जताई जा चुकी हैं. संगठन की मानें तो इस बार गेहूं का उपभोग 813 मिलियन टन और व्यापार 201 मिलियन टन रहने की आशंका है.
दूसरी ओर अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने कहा है कि मार्च में उसने वैश्विक उत्पादन बढ़ने की बात कही थी. मगर उपभोग उसे भी ज्यादा रहने वाला है. बीएमआई का कहना है कि वह अब साल 2025 के लिए गेहूं के उपभोग को लेकर अपने अनुमान में थोड़ा सा बदलाव कर रहे हैं. कृषि विभाग ने पहले गेहूं की एक बाली (Bushel)की कीमत 580 सेंट्स अनुमानित की थी. वहीं अब इसमें परिवर्तन करके विभाग ने 585 सेंट्स कर दी है. विभाग ने भी फिंच सोल्यूशंस की बात को दोहराते हुए कीमतों के ज्यादा होने की बात कही है.
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व्यापारियों की मानें तो यूरोप, अमेरिका और काला सागर क्षेत्र में गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है और इस वजह से अभी कीमतें नियंत्रित हैं. वहीं भारत और चीन में फसल की कटाई जारी है और ये भी कीमतों के स्थिर रहने की एक वजह है. बीएमआई का कहना है कि 25 मार्च तक गेहूं की औसत कीमत 570.2 सेंट्स थी और यह साल 2024 के औसत से कम है. पिछले साल यह आंकड़ा 588.7 सेंट्स था. बीएमआई के अनुसार 25 मार्च तक एक साल में गेहूं की कीमतों में 0.4 फीसदी का इजाफा हुआ है.
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फूड एंड एग्रीकल्चरल मार्केटिंग इनफॉर्मेशन सिस्टम (एएमआईएस) के अनुसार मार्च में उसके जो आंकड़ें थे, उनके अनुसार इस साल ग्लोबल लेवल पर गेहूं का उत्पादन 796 मिलियन टन रहने वाला है. आमें बड़ा योगदान यूरोपियन यूनियन (ईयू) का है जहां इस साल फसल अच्छी हुई है. साल 2024 में ईयू देशों में गेहूं का उत्पादन कम हो गया था. फ्रांस और जर्मनी में मुलायम गेहूं के लिए बुवाई ज्यादा की गई है.
एएमआईएस के अनुसार भारत में सर्दियों वाले गेहूं की फसल में थोड़ी गिरावट हो सकती है. इसकी वजह से इस बार गेहूं का उत्पादन 113 मिलियन टन रह सकता है. चीन में फरवरी के मध्य में गेहूं की फसल के लिए बेहतर स्थितियां थी लेकिन उत्पादन स्थिर रहेगा और यहां पर 140 मिलियन टन गेहूं की उपज होने का अनुमान है.
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