हरियाणा में गन्ने के नए दाम को लेकर संग्राम शुरू होने वाला है. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने शुक्रवार से मिलों को गन्ना देना बंद करने का एलान किया है. यूनियन ने यह फैसला हरियाणा सरकार को कई बार चेतावनी देने और सांकेतिक विरोध के बाद लिया है. यूनियन अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि पिछले दो महीने से मिलें चल रही हैं, किसान गन्ना दे रहे हैं, जबकि नए पेराई सत्र के लिए सरकार ने उसका नया रेट फिक्स ही नहीं किया है. दूसरी ओर, पड़ोसी राज्य पंजाब में सरकार ने दाम बढ़ा दिया है. ऐसे में गन्ना किसानों के पास अपने हक के लिए आंदोलन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बच रहा है.
चढूनी ने किसान तक से बातचीत में कहा कि शुक्रवार सुबह आठ बजे से हरियाणा की सभी गन्ना मिलों को बंद करवाया जाएगा. किसान गन्ना नहीं ले जाएंगे बल्कि रेट बढ़ाने के लिए मिलों के सामने प्रदर्शन करेंगे. उधर, हमने गन्ना का दाम बढ़ाने को लेकर जब हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि गन्ना मूल्य निर्धारण कमेटी की रिपोर्ट अभी नहीं आई है. अभी इसमें समय लगेगा. रिपोर्ट आएगी उसके बाद दाम बढ़ाने पर फैसला होगा.
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चढूनी ने कहा कि गन्ना का रेट बढ़ाने को लेकर हरियाणा सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है. किसानों ने पहले पत्र लिखकर भाव बढ़ाने की बात कही, मिलों के सामने सांकेतिक धरना दिया. फिर 10 जनवरी को करनाल में पंचायत की. जिसमें करनाल जिला प्रशासन ने कहा कि 16 जनवरी को किसान नेता गन्ना मूल्य निर्धारण कमेटी को अपनी बात बताएं. संगठन ने वहीं पर एलान कर दिया था कि कि अगर को 16 को दाम बढ़ाने पर कोई फैसला नहीं होता है तो 17 जनवरी से गन्ने की छिलाई बंद होगी और 20 तारीख से पेराई.
इसके बाद 16 किसानों का दल कमेटी में अपनी बात रखने के लिए चंडीगढ़ गया. यहां पर सिर्फ गन्ना आयुक्त और दो अन्य आईएएस मौजूद रहे. जबकि न तो उसमें कृषि मंत्री थे और न ही कमेटी के सदस्य विधायक. जब पूरी कमेटी ही नहीं थी तो किसान क्या बात करते. हमें बुलाकर कमेटी गायब थी. इसलिए किसानों ने उसका बहिष्कार किया और वहीं पर एक घंटे का धरना दिया. उसके बाद भी सरकार ने इस मसले पर कोई फैसला नहीं लिया.
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किसान नेता चढूनी ने कहा कि गन्ना मिलें नवंबर 2022 से चल रही हैं. उससे पहले केन कंट्रोल बोर्ड की बैठक हुई थी, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं. उसी बैठक में गन्ने के दाम पर निर्णय लेना चाहिए था. उससे अलग गन्ना मूल्य निर्धारण कमेटी बनाने का कोई औचित्य नहीं था. यह कमेटी बने 20 दिन हो गए और अभी तक इसके सदस्य किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं. यह कमेटी सिर्फ दाम घोषित करने में देरी करने और किसानों की आंख में धूल झोंकने के लिए बनाई गई है. बता दें कि हरियाणा में अभी गन्ना का भाव 362 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि पंजाब में 380 रुपये हो गया है. हरियाणा में किसान इसका भाव महंगाई को देखते हुए 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं.
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